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अनुमंडल अस्पताल में फिर उठे अनियमितता के सवाल, प्रभारी उपाधीक्षक को वित्तीय प्रभार देने पर बीस सूत्री कमेटी ने जताई नाराजगी

अस्पताल में चिकित्सकों की वरिष्ठता सूची में भी वे ऊपर नहीं आते हैं, फिर भी उन्हें कार्यकारी प्रभारी और वित्तीय प्रभार दोनों दे दिया गया है.

वीरपुर अनुमंडल अस्पताल में ममता और गार्ड की बहाली में अनियमितता का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक बार फिर अस्पताल प्रशासन विवादों में घिर गया है. इस बार मामला अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ शैलेन्द्र दीपक को वित्तीय प्रभार सौंपे जाने को लेकर उठा है. प्रखंड बीस सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति ने आरोप लगाया है कि बिना कोषागार प्रशिक्षण (ट्रेजरी ट्रेनिंग) प्राप्त किए ही डॉ दीपक को वित्तीय प्रभार सौंप दिया गया, जो नियमों के विरुद्ध है. बीस सूत्री अध्यक्ष पवन मेहता, सदस्य अभय कुमार जैन, आशीष देव, महानन्द झा, रामचंद्र राम और जिला परिषद सदस्य अर्चना मेहता ने संयुक्त रूप से इस फैसले का विरोध किया है. वित्तीय दक्षता के बिना प्रभार देना अनुचित बीस सूत्री अध्यक्ष पवन मेहता ने कहा कि किसी भी संस्था में वित्तीय दायित्व केवल उन्हीं को सौंपा जाना चाहिए, जिन्होंने विभागीय परीक्षा एवं ट्रेजरी ट्रेनिंग पास की हो. लेकिन डॉ शैलेन्द्र दीपक अभी तक इस परीक्षा में सफल नहीं हुए हैं. इतना ही नहीं, अस्पताल में चिकित्सकों की वरिष्ठता सूची में भी वे ऊपर नहीं आते हैं, फिर भी उन्हें कार्यकारी प्रभारी और वित्तीय प्रभार दोनों दे दिया गया है. अनुभव की कमी से कामकाज प्रभावित कमेटी का कहना है कि डॉ दीपक के पास प्रशासनिक अनुभव की भी कमी है, जिससे ओपीडी संचालन और अन्य वित्तीय कार्यों में अव्यवस्था फैल रही है. आम लोगों को इलाज और सेवाओं में दिक्कतें हो रही हैं. समिति ने मांग की है कि डॉ दीपक को तत्काल वित्तीय प्रभार से मुक्त किया जाए ताकि बढ़ती अनियमितताओं पर रोक लग सके. प्रभारी उपाधीक्षक और सीएस का पक्ष इस मामले पर डॉ शैलेन्द्र दीपक ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, मुझे सिविल सर्जन (सीएस) और जिलाधिकारी (डीएम) द्वारा प्रभारी बनाया गया है और मैं अपनी जिम्मेदारी निभा रहा हूं. हालांकि, उन्होंने वित्तीय प्रभार को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की. वहीं सिविल सर्जन डॉ ललन ठाकुर ने कहा कि, डॉ शैलेन्द्र दीपक को अस्पताल के चिकित्सकों के प्रस्ताव पर प्रभारी बनाया गया है. जहां तक वित्तीय प्रभार की बात है, कुछ मामलों में ट्रेजरी ट्रेनिंग के बिना भी प्रभार सौंपा जा सकता है.

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