सुपौल. खुशियों का पर्व दीपावली नजदीक आते ही सुपौल जिले में त्योहारी रौनक लौट आई है. शहर से लेकर गांव तक लोग दीपावली का उत्सव धूमधाम से मनाने की तैयारी में जुट गए हैं. घरों की सफाई, रंग-रोगन और सजावट का कार्य जोर-शोर से चल रहा है. वहीं, बाजारों में दीयों, सजावटी लाइटों और पूजन सामग्रियों की खरीदारी से रौनक बढ़ गई है. कुम्हारों की बस्ती में चाक पर रौनक दीपों के इस त्योहार में मिट्टी के दीयों की अहम भूमिका होती है. दीपावली करीब आते ही कुम्हारों के घरों में भी चाक तेजी से घूमने लगे हैं. मिट्टी के दीये, ढिबरी, और कुप्पी बनाने का कार्य जोरों पर है. सुपौल शहर के भेलाही वार्ड नंबर 21 को कुम्हारों की बस्ती कहा जाता है, जहां हर घर में दीयों के निर्माण की गूंज सुनाई दे रही है. स्थानीय कुम्हार राजेश पंडित, राम पंडित और बैजू पंडित ने बताया कि दीपावली उनके लिए वर्ष का सबसे व्यस्त और उम्मीदों भरा समय होता है. वे मिट्टी के दीये बनाकर बाजारों में बेचते हैं, जबकि परिवार के अन्य सदस्य गांव-गांव ठेले पर दीये बेचने निकल जाते हैं. बाजार में दीपावली का उत्साह दीपावली के अवसर पर जिला मुख्यालय के बाजारों में कैंडिल, पूजन सामग्री, सजावटी सामान और पटाखों की दुकानें सज गई हैं. दुकानदारों ने तरह-तरह के फेस्टिवल ऑफर भी शुरू किए हैं. बच्चों में खासा उत्साह देखा जा रहा है वे रंग-बिरंगी लाइटों और पटाखों की खरीदारी में व्यस्त हैं. चाइनीज लाइटों की बढ़ती मांग से कुम्हारों पर असर इस बीच, सस्ती और आकर्षक चाइनीज लाइटों की बिक्री भी जोर पकड़ रही है. रंग-बिरंगी लाइटें कम दाम में मिलने के कारण लोगों की पहली पसंद बन रही हैं, जिससे मिट्टी के दीयों की बिक्री प्रभावित हो रही है. कुम्हारों का कहना है कि पहले की तरह कारोबार अब नहीं होता, लेकिन इस बार उन्हें उम्मीद है कि लोग फिर से मिट्टी के पारंपरिक दीयों की ओर लौटेंगे और उनके घरों में भी खुशियों की रोशनी फैलेगी.
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