– कथा के आदर्शों को जीवन में उतारकर धर्म व सदाचार को अपनाना ही वास्तविक साधना : संत – अंतिम दिन कथा में संत ने भरत जी के आदर्श, त्याग, निष्ठा व राम के प्रति अटूट भक्ति का किया चित्रण राघोपुर. सिमराही नगर पंचायत के शांतिनगर में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा का मंगलवार को पूर्णाहुति के साथ समापन हो गया. संत मुरलीधर जी महाराज के श्रीमुख से चल रहे यह कथा लगातार नौ दिनों तक श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बना रहा. समापन के मौके पर मंगलवार सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक आयोजित कथा में भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और भक्तिभाव से कथा श्रवण किया. अंतिम दिन की कथा में संत मुरलीधर जी महाराज ने भरत जी के आदर्श, त्याग, निष्ठा और राम के प्रति उनकी अटूट भक्ति का भावपूर्ण चित्रण किया. उन्होंने बताया कि राम वनवास की सूचना मिलते ही भरत जी ने पूरी अयोध्या के प्रजा, माताओं और गुरु वशिष्ठ के साथ प्रभु श्रीराम को वापस लाने का दृढ़ निश्चय किया. इस दौरान शृंगवेरपुर में निषादराज से भेंट, प्रयागराज की यात्रा और चित्रकूट में भरत जी के सात्विक आचरण जैसे प्रसंगों ने कथा पंडाल को भक्ति से सराबोर कर दिया. कथा के समापन पर महाराज जी ने कहा कि दुनिया की बहुत सी वस्तुएं सहज उपलब्ध हो जाती है, लेकिन राम कथा का श्रवण अत्यंत दुर्लभ सौभाग्य है. उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि कथा के आदर्शों को जीवन में उतारकर धर्म और सदाचार को अपनाना ही वास्तविक साधना है. कथा के समापन के साथ ही श्रद्धालुओं ने जय श्रीराम के उद्घोष से वातावरण को दिव्य बना दिया. आयोजकों ने बताया कि नौ दिनों तक जिले के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन कथा श्रवण के लिए आते रहे. यह आध्यात्मिक उत्सव लंबे समय तक लोगों की यादों में जीवंत रहेगा. मौके पर गोविंद पंसारी, नीरज पंसारी, सचिन पंसारी, राजीव जयसवाल, सुशील कुमार सोमानी, कृष्णा सोमानी, अक्षय कुमार, राहुल पंसारी, कृष्णा सिंह, प्रह्लाद कुमार सिंह, सोनू झा, अमित पंसारी, गोपाल पंसारी, सोनू पंसारी, महावीर पंसारी, हर्ष पंसारी, ओमप्रकाश सिंह, रोहित आदि मौजूद थे.
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