वीरपुर. मोंथा चक्रवात का असर वीरपुर और आसपास के सीमावर्ती इलाकों में गुरुवार से ही दिखने लगा. चक्रवात के कारण गुरुवार को पूरे दिन बारिश हुई, जबकि गुरुवार की रात से लेकर शुक्रवार तक लगातार मूसलाधार वर्षा होती रही. इससे क्षेत्र के कई हिस्सों में जलजमाव की स्थिति बन गई है और खेतों में लगी फसलें डूब गई हैं. किसानों के बीच भारी नुकसान की आशंका जताई जा रही है. इधर, शुक्रवार को औपचारिक रूप से बाढ़ अवधि समाप्त होने वाली थी (जो 01 जून से 31 अक्टूबर तक रहती है), लेकिन चक्रवात के प्रभाव से स्थिति विपरीत हो गई. कोसी नदी के जलग्रहण क्षेत्र नेपाल स्थित बराहक्षेत्र में जलस्तर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई. शुक्रवार सुबह 06 बजे जहां जलस्तर 21 हजार 650 क्यूसेक था, वहीं शाम 04 बजे तक यह बढ़कर 86 हजार 250 क्यूसेक पहुंच गया. कोसी बराज के जलस्तर में भी तेजी से बढ़ोतरी देखी गई और शुक्रवार शाम को यह 01 लाख 28 हजार 115 क्यूसेक तक पहुंच गया. बढ़ते दबाव को देखते हुए बराज के 15 फाटक खोले गए ताकि जल प्रवाह को नियंत्रित किया जा सके. इस संबंध में पूछे जाने पर चीफ इंजीनियर संजीव शैलेश ने बताया कि वर्तमान स्थिति नियंत्रण में है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, “बारिश अब थम गई है और जलस्तर खतरनाक नहीं है. चक्रवात के कारण असामान्य वर्षा हुई, लेकिन स्थिति सामान्य है. हम पूरी तरह सुरक्षित हैं. स्थानीय प्रशासन ने भी निगरानी बढ़ा दी है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया गया है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

