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फाल्गुणी पूर्णिमा : 14 मार्च को मनाया जायेगा होली : आचार्य धर्मेंद्र

होलिका दहन 13 मार्च को रात्रि 10 बजकर 47 मिनट के बाद मुहूर्त है. होलिका दहन के समय ओम होलिकाये नम: इस मंत्र के साथ विधिवत पूजन का विधान भी शास्त्रों में वर्णित है.

– 14 मार्च को 11: 22 तक है पूर्णिमा तिथि राघोपुर रंगों का त्योहार होली प्रेम और आपसी सौहार्द का पर्व है. जिस प्रकार प्रकृति रंगों से भरी हुई है, उसी प्रकार हमारी भावनाएं भी विभिन्न रंगों से जुड़ी हुई है. होली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मैथिल पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि इस बार होली विश्व विद्यालय पंचांग के अनुसार 15 मार्च को है. चूंकि मिथिला में यह पर्व फाल्गुणी पूर्णिमा को मनाने का विधान है, इसलिए होली 14 मार्च को होगी. इसी दिन कुल देवता को सिंदूर आदि अर्पण करनी चाहिए. इस फाल्गुनी पूर्णिमा पर्व के शुभ अवसर पर देवताओं को एवं कुलदेवी को सिंदूर आदि अर्पण होता है. बताया कि पूर्णिमा तिथि में होली मनाने का शास्त्रोक्त विधान है. यह पर्व फाल्गुनी पूर्णिमा को मनाने का विधान है, इस दिन कुल देवता को भक्ति भाव से सिंदूर अर्पण के साथ श्री चैतन्य जयंती भी मनाया जाता है. होलिका दहन में भद्रा का त्याग करनी चाहिए. इस बार होलिका दहन 13 मार्च को रात्रि 10 बजकर 47 मिनट के बाद मुहूर्त है. होलिका दहन के समय ओम होलिकाये नम: इस मंत्र के साथ विधिवत पूजन का विधान भी शास्त्रों में वर्णित है. ओम होलीकाये नमः मंत्र से पांच उपचार विधि से पूजन कर प्रातः काल होली का उत्सव माननी चाहिए. होली का पर्व संपूर्ण देश में आपसी प्रेम और एक दूसरे के साथ भाईचारा की दृष्टिकोण से यह पर्व रंगोत्सव के रूप में भी जाने जाते हैं. संपूर्ण देश में आपसी प्रेम स्नेह बनी रहे, इसलिए एक दूसरे को रंग अबीर गुलाल लगाने की परंपरा है और पूरी पकवान मालपुआ इत्यादि के द्वारा एक दूसरे को आमंत्रण कर खिलाया जाता है, ताकि समाज में प्रेम, भाईचारा और आपसी सामंजस्य बनी रहे. फागुन पूर्णिमा के दिन कुलदेवतादि पर सिंदूरार्पण व रंग अर्पित कर मिथिलांचल में होली मनाने की है परंपरा : विष्णु फोटो – 21 कैप्सन – विष्णु झा सुपौल इस बार फाल्गुन पूर्णिमा 13 मार्च दिन बृहस्पतिवार को प्रातः काल 10:12 से प्रारंभ हो रही है और अगले दिन शुक्रवार 14 मार्च को सुबह 11 : 22 मिनट तक पूर्णिमा तिथि व्याप्त है. यह कहना है पंडित विष्णु झा का. कहा कि रात्रि आच्छादित पूर्णिमा तिथि में होलिका दहन होने का विधान के अनुसार होलिका दहन 13 मार्च के रात्रि को ही हो जाएगा. भद्रा की समाप्ति रात्रि 10 : 47 पर हो रही है. इसके बाद होलिका दहन किया जाएगा. फागुन पूर्णिमा के दिन अपने-अपने कुलदेवतादि पर सिंदूरार्पण व रंग अर्पित कर मिथिलांचल में होली मनाने की परंपरा रही है.

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