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विस चुनाव : त्रिवेणीगंज में विरासत बनाम विश्वास की जंग

राजद के पुराने व जदयू के नए चेहरे में इस बार हो रहा मुकाबला

राजद के पुराने व जदयू के नए चेहरे में इस बार हो रहा मुकाबला राजद प्रत्याशी के समक्ष विरासत बचाने की चुनौती, जदयू के लिए भरोसा कायम रखने की अग्निपरीक्षा त्रिवेणीगंज, त्रिवेणीगंज विधानसभा सीट पर इस बार का मुकाबला विरासत बनाम विश्वास की सियासी जंग में तब्दील हो गया है. राजद ने एक बार फिर 2020 में मामूली अंतर से हारने वाले उम्मीदवार संतोष कुमार सरदार पर भरोसा जताया है, जबकि जदयू ने बदलाव करते हुए दो बार की सिटिंग विधायक वीणा भारती का टिकट काटकर नए चेहरे सोनम रानी को मैदान में उतारा है. मतदान 11 नवंबर को होना है. पांचों उम्मीदवारों से त्रिवेणीगंज का रण सबसे दिलचस्प माना जा रहा है. संतोष सरदार के लिए यह चुनाव अपनी राजनीतिक विरासत और राजद के 20 साल पुराने सूखे को खत्म करने की चुनौती लेकर आया है, वहीं सोनम रानी के लिए यह मुकाबला पार्टी के भरोसे को कायम रखने और जदयू के गढ़ को बचाए रखने की अग्निपरीक्षा साबित होगी. राजद के प्रत्याशी संतोष कुमार सरदार का परिवार राजनीति गहराई से जुड़ा रहा है. उनका परिवार दशकों से राजनीति में प्रभावशाली रहा है. उनके पिता महेंद्र सरदार वर्ष 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर हिंदुस्तान के सबसे युवा सांसद चुने गए थे. इसके बाद 1990 में उनकी फुआ गीता सरदार, फूफा गोरी सरदार और चाचा योगेंद्र नारायण सरदार ने बगल के छातापुर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायकी की, जबकि उनके दादा भोली सरदार भी 1962 में कांग्रेस के टिकट पर जीत का परचम लहरा चुके हैं. यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि त्रिवेणीगंज और आसपास का इलाका लंबे समय तक इनके परिवार की सियासी पकड़ में रहा है. साल 2025 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने एक बड़ा दांव खेलते हुए सिटिंग विधायक वीणा भारती का टिकट काटकर नए चेहरे जिला परिषद सदस्य सोनम रानी को प्रत्याशी बनाया है. यह चुनाव उनके राजनीतिक करियर की पहली परीक्षा है. पिछले चुनाव में राजद प्रत्याशी के रूप में संतोष कुमार सरदार को कड़े मुकाबले में महज 3030 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. यही कारण है कि इस बार वे हर स्तर पर जनता से जुड़ाव और पुराने समर्थन को वापस पाने की कोशिश में जुटे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनाव केवल दो प्रमुख दलीय प्रत्याशियों का मुकाबला नहीं, बल्कि यह विरासत बनाम विश्वास की लड़ाई है. एक ओर संतोष सरदार अपनी पारिवारिक साख को फिर से चमकाने के मिशन पर हैं, वहीं दूसरी ओर सोनम रानी को पार्टी की नीति और गठबंधन के परम्परागत वोट के सहारे पर जनता का भरोसा जीतते हुए जदयू के अजय किला को बनाए रखना है. हालांकि मतदाता अब पहले से अधिक जागरूक हैं. वे केवल जाति या पार्टी देखकर नहीं, बल्कि विकास, शिक्षा, रोजगार और स्थानीय मुद्दों को भी ध्यान में रखकर फैसला लेने की बात कर रहे हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या तीर एक बार फिर निशाने पर लगेगा या फिर लालटेन दशकों बाद अपनी रोशनी से त्रिवेणीगंज को जगमगाएगी. इसका फैसला अब 11 नवंबर को होने वाले मतदान और मतगणना के नतीजे ही बताएंगे. फिलहाल त्रिवेणीगंज की जनता के होंठों पर एक ही सवाल है कि फिर तीर चलेगा या लालटेन जलेगी. त्रिवेणीगंज विधानसभा कुल मतदाता 321349 पुरुष 165156 महिला 156151 थर्ड जेंडर 02 चुनाव वर्ष 2020 वीणा भारती-जदयू 79458 संतोष कुमार-राजद 76427 जीत का अंतर 3031 वर्ष 2015 वीणा भारती-जदयू 89869 अनंत भारती-लोजपा-37469 जीत का अंतर 52400 वर्ष 2010 अमला देवी-जदयू 63729 अनन्त भारती-लोजपा 44706 जीत का अंतर 19023

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