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¹अवैध रूप से चल रहे कोचिंग संस्थान

अनदेखी. पदाधिकारियों का नियंत्रण नहीं शहर हो या ग्रामीण इलाका जिले की हर गली व मुहल्ले में कोचिंग संस्थान कुकुरमुत्ते की तरह उगे हुए हैं. सुपौल : शिक्षा विभाग एवं प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण जिले भर में सैकड़ों की संख्या में अवैध रूप से कोचिंग संस्थान संचालित हैं. शहर हो या ग्रामीण इलाका […]

अनदेखी. पदाधिकारियों का नियंत्रण नहीं

शहर हो या ग्रामीण इलाका जिले की हर गली व मुहल्ले में कोचिंग संस्थान कुकुरमुत्ते की तरह उगे हुए हैं.
सुपौल : शिक्षा विभाग एवं प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण जिले भर में सैकड़ों की संख्या में अवैध रूप से कोचिंग संस्थान संचालित हैं. शहर हो या ग्रामीण इलाका जिले की हर गली व मुहल्ले में कोचिंग संस्थान कुकुरमुत्ते की तरह उगे हुए हैं. दिन-प्रतिदिन कोचिंग संस्थानों की संख्या में हो रही वृद्धि पर शिक्षा विभाग व प्रशासनिक पदाधिकारियों का कोई नियंत्रण नहीं है. यही वजह है कि जिस गति से कोचिंग संस्थानों की संख्या में वृद्धि हो रही है, उसी प्रकार छात्र-छात्राओं का दोहन और शोषण भी बढ़ रहा है.
दरअसल कोचिंग संस्थान पूरी तरह बेलगाम है और सरकार के लाख कवायद के बावजूद इस पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका है. जिले के अधिकारियों की स्थिति यह है कि अवैध रूप से संचालित कोचिंग सेंटरों का निबंधन तो दूर उन्हें इसकी वास्तविक संख्या के बारे में भी जानकारी नहीं है. कोचिंग संस्थानों की बढ़ती मनमानी पर नकेल कसने के लिए 30 मार्च 2010 को बिहार सरकार ने बिहार कोचिंग रेगुलेशन एक्ट पारित किया,लेकिन इसे प्रशासनिक नाकामी कहें या कुछ और जिले में इसे अब तक लागू नहीं किया जा सका.
माध्यमिक व उच्च शिक्षा में आयी शैक्षणिक गिरावट की वजह से छात्र व छात्राएं निजी कोचिंग संस्थान का रूख करते हैं. ऐसे छात्र नामांकन तो सरकारी संस्थानों में कराते हैं लेकिन उनकी शिक्षा कोचिंग संस्थान के भरोसे ही चलती है. लेकिन निजी कोचिंग सेंटरों के संचालक छात्रों की इस मजबूरी का जम कर फायदा उठा रहे हैं. ऐसे संचालकों पर अंकुश लगाने में जिला प्रशासन पूरी तरह विफल साबित हो रही है.
कोचिंग संस्थान.
जिले भर में कितने कोचिंग संस्थान संचालित हैं, इसकी जानकारी नहीं है. अभी पर्व त्योहार का मौसम है. त्योहार के बाद सर्वे का कार्य प्रारंभ किया जायेगा और बिना निबंधन के संचालित कोचिंग सेंटरों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.
मो जाहिद हुसैन, डीइओ, सुपौल
झोंपड़ी में संचालित हो रहा कोचिंग सेंटर
एक आंकड़े के मुताबिक सुपौल जिले में 2000 से अधिक कोचिंग सेंटर संचालित हैं. इनमें से अधिकांश कोचिंग संस्थान के पास ना तो आधारभूत संरचना है और न ही बुनियादी सुविधा ही उपलब्ध है. ऐसे कोचिंग संस्थान के संचालक बदतर व्यवस्था के बावजूद छात्रों से मोटी रकम वसूल कर मालामाल हो रहे हैं. सरकार द्वारा वर्ष 2010 में लागू एक्ट में कोचिंग संस्थान के लिए जो मानक निर्धारित किया है, उसमें अधिकांश संस्थान खरा नहीं उतरता है.
2010 में लागू हुआ अधिनियम
निजी कोचिंग संस्थानों की मनमानी को देखते हुए छात्र हित में राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2010 में 30 मार्च को बिहार कोचिंग रेगुलेशन एक्ट लागू किया गया.अधिनियम के लागू होने के कुछ माह तक कोचिंग संचालकों में हड़कंप रहा तथा अपने संस्थान का निबंधन कराने के लिए स्थानीय शिक्षा विभाग के दफ्तर का चक्कर लगाते रहे.लेकिन धीरे-धीरे स्थिति ऐसी बनी कि विभागीय अधिकारियों द्वारा सरकार के इस कानून को फाइलों में कैद कर दिया गया
और निजी कोचिंग संचालक बेखौफ हो कर छात्र व अभिभावकों का दोहन करने में जुट गये.सरकार के आदेश को लागू करने में विभागीय अधिकारियों की उदासीनता की वजह से कोचिंग संचालकों में कानून का भय समाप्त हो गया और धड़ल्ले से गली-मुहल्लों में निजी कोचिंग संस्थानों का संचालन प्रारंभ हो गया.

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