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बीइओ पर गिरी गाज
शिक्षकों को मनमाने तरीके से गैर शैक्षणिक कार्य में प्रतिनियुक्त कर निजी स्वार्थ की पूर्ति करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई आरंभ कर दी गयी है. सुपौल : शिक्षकों के प्रतिनियोजन के मामले में सरकार व शिक्षा विभाग द्वारा सख्त रवैया अपनायी जा रही है. हाल के दिनों में इसे प्रभावी तरीके से लागू […]
शिक्षकों को मनमाने तरीके से गैर शैक्षणिक कार्य में प्रतिनियुक्त कर निजी स्वार्थ की पूर्ति करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई आरंभ कर दी गयी है.
सुपौल : शिक्षकों के प्रतिनियोजन के मामले में सरकार व शिक्षा विभाग द्वारा सख्त रवैया अपनायी जा रही है. हाल के दिनों में इसे प्रभावी तरीके से लागू करने के गरज से विभाग द्वारा कई ठोस कदम भी उठाये गये हैं. वहीं शिक्षकों को मनमाने तरीके से गैर शैक्षणिक कार्य में प्रतिनियुक्त कर निजी स्वार्थ की पूर्ति करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई आरंभ कर दी गयी है.
इसी कड़ी में शिक्षा विभाग द्वारा सदर प्रखंड के बीइओ नरेंद्र झा के विरुद्ध शिक्षक को गैर शैक्षणिक कार्य में प्रतिनियुक्ति व नव नियुक्त शिक्षिका को विद्यालय में योगदान नहीं करा कर बीइओ कार्यालय में योगदान करा कर वेतन भुगतान कराने के आरोप में दोषी मानते हुए आरोप पत्र गठित किया गया है. निदेशक प्राथमिक शिक्षा एम रामचंद्रुडू ने 23 सितंबर को आरोप पत्र गठित कर जारी पत्र में कहा है कि क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक कोसी प्रमंडल सहरसा से प्राप्त जांच प्रतिवेदन व साक्ष्य के आलोक में बिहार सरकारी सेवक वर्गीकरण नियमावली 2005 के तहत कार्रवाई प्रारंभ की गयी है. ज्ञात हो कि इस मामले को केवल प्रभात खबर द्वारा प्रमुखता के साथ लगातार कई बार खबर प्रकाशित किया गया था.
क्या है मामला
न्यायालय व शिक्षा विभाग ने शिक्षकों का गैर शैक्षणिक कार्य में प्रतिनियोजन को अवैध माना है. इसके लिए विभाग के वरीय पदाधिकारियों द्वारा समय-समय पर कई निर्देश भी जारी किये जाते हैं, लेकिन प्रतिनियोजन के इस खेल से जुड़े बीइओ उक्त आदेश को रद्दी के टोकरी में डाल कर शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में प्रतिनियोजित कर देते हैं. प्रतिनियोजन के इस खेल को रोकने के उद्देश्य से विद्यापुरी सुपौल निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह ने सदर प्रखंड में गैर शैक्षणिक कार्य में लगे शिक्षकों की सूची समर्पित करते हुए क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक कोसी प्रमंडल सहरसा से मामले की जांच कर कार्रवाई का अनुरोध किया था. क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक प्रभाकर सिंह द्वारा इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सुनवाई प्रारंभ की गयी. जांच के क्रम में श्री सिंह द्वारा बीइओ के विरुद्ध लगाये गये सभी आरोप सत्य पाये गये. जिसके बाद आरडीडीइ ने दोषी बीइओ नरेंद्र झा के विरुद्ध कार्रवाई के लिए अनुशंसा कर विभाग को प्रतिवेदित किया. जिसके आलोक में निदेशक प्राथमिक शिक्षा ने बीइओ नरेंद्र झा के विरुद्ध प्रपत्र क में आरोप पत्र गठित करते हुए कार्रवाई प्रारंभ कर दिया है.
सदर प्रखंड में सामाजिक कार्यकर्ता की शिकायत के बाद 18 शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की पुष्टि हुई है, लेकिन यदि इस मामले की जांच जिले के सभी बीइओ, प्रखंड कार्यालय समेत अन्य कार्यालयों में गहराई से जांच की जाय तो सैकड़ों शिक्षकों के कई वर्षों से एक ही स्थान पर प्रतिनियुक्त रहने का खुलास हो पायेगा. कई ऐसे शिक्षक हैं जो अपने नियुक्ति तिथि से आज तक कार्यालय में लिपिक के तौर पर कार्य कर रहे हैं.
निदेशक प्राथमिक शिक्षा द्वारा गठित आरोप पत्र में बीइओ नरेंद्र झा पर क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक कोसी प्रमंडल सहरसा द्वारा की गयी जांच में दो आरोप प्रमाणित हुए हैं. बीइओ के विरुद्ध प्रथम आरोप यह है कि श्री झा ने विभागीय नियमों का उल्लंघन कर 18 शिक्षक-शिक्षिकाओं को गैर शैक्षणिक कार्यों में प्रतिनियुक्त किया है. वहीं दूसरे आरोप में नव नियुक्त शिक्षिका सुलेखा झा जिनकी नियुक्ति डीइओ के ज्ञापांक 1156 दिनांक 10 जून 2015 के द्वारा मध्य विद्यालय धोरे कटैया सुपौल में किया गया था, लेकिन उक्त आदेश के आलोक में बीइओ ने शिक्षिका श्रीमती झा को विद्यालय में योगदान नहीं करा कर अपने कार्यालय में 23 जून 2015 को योगदान करा कर 22 फरवरी 16 तक प्रतिनयुक्त रख कर भुगतान करवाते रहे. निदेशक ने बीइओ को प्रपत्र क में आरोप पत्र गठित कर भेजते हुए उनसे 17 अक्तूबर 2016 तक लिखित बचाव समर्पित करने का आदेश दिया है. निर्धारित अवधि में लिखित बचाव समर्पित नहीं होने की स्थिति में विभाग एकतरफा कार्रवाई करेगी.
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