सुपौल : कार्य प्रमंडल सुपौल में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मली-हटवरिया पथ तथा जीवछपुर-दुबियाही पथ के निर्माण में अभियंताओं द्वारा एक करोड़ 63 लाख 79 हजार की राशि गबन करने का मामला प्रकाश में आया है. विभागीय आदेश का अनुपालन नहीं कर सरकारी राशि की वसूली में लापरवाही व अनियमितता किये जाने पर […]
सुपौल : कार्य प्रमंडल सुपौल में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मली-हटवरिया पथ तथा जीवछपुर-दुबियाही पथ के निर्माण में अभियंताओं द्वारा एक करोड़ 63 लाख 79 हजार की राशि गबन करने का मामला प्रकाश में आया है. विभागीय आदेश का अनुपालन नहीं कर सरकारी राशि की वसूली में लापरवाही व अनियमितता किये जाने पर जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने वर्तमान सहित दो तत्कालीन कार्यपालक अभियंता के ऊपर ग्रामीण विकास विभाग के सचिव से कार्रवाई किये जाने का अनुशंसा किया है.
परिवादी मुख्यालय के विद्यापुरी निवासी अनिल कुमार सिंह की शिकायत पर सोमवार को सुनवाई के दौरान ग्रामीण कार्य प्रमंडल सुपौल के सहायक अभियंता द्वारा राशि वसूली से संबंधित समर्पित प्रतिवेदन को खारिज कर लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सोमवार को आदेश पारित किया है तथा परिवाद की सुनवाई की समय सीमा दो माह बीत जाने के कारण परिवाद की कार्रवाई समाप्त कर दिया.
कार्रवाई की जद में ग्रामीण कार्य प्रमंडल सुपौल के वर्तमान कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर आजाद व दो पूर्व कार्यपालक अभियंता रामदेव चौधरी व चंदेश्वर सिंह यादव शामिल हैं. आदेश की प्रति जिला पदाधिकारी एवं अधीक्षण अभियंता ग्रामीण कार्य विभाग कार्य अंचल मधेपुरा को भी दिया है. गौरतलब है कि कार्य प्रमंडल सुपौल अंतर्गत हटवरिया-निर्मली पथ व जीवछपुर-दुबियाही पथ के निर्माण में अभियंताओं द्वारा व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरती गयी थी.
बिना कार्य के ही मापी पुस्तिका में कार्य दिखा कर करोड़ों की राशि का भुगतान कर बंदर बांट कर लिया गया. मामले को उजागर करते हुए शिकायतकर्ता श्री सिंह द्वारा मुख्यमंत्री, वरीय पदाधिकारी व आर्थिक अपराध इकाई को शिकायत पत्र दाखिल कर कार्रवाई का अनुरोध किया गया. जिसके बाद ग्रामीण कार्य विभाग व आर्थिक अपराध इकाई द्वारा स्थल पर पहुंच कर जांच प्रारंभ किया गया. जांच के दौरान परिवाद पत्र में दायर शिकायत की पुष्टि हुई और व्यापक पैमाने पर बरती गयी अनियमितता एवं सरकारी राशि के गबन का खुलासा हुआ.
जांच में मिले दोषी
सरकार के आदेश पर मुख्य अभियंता की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा सड़क निर्माण में बरती गयी अनियमितता की जांच की गयी. संयुक्त जांच कमेटी द्वारा समर्पित जांच प्रतिवेदन के आधार पर समीक्षोपरांत सड़क निर्माण में की गयी अनियमितता के लिए तत्कालीन कार्यपालक अभियंता सुरेश कुमार सिंह, सहायक अभियंता विमल कुमार, कनीय अभियंता सुनील कुमार सिंह व संवेदक को दोषी पाया गया. जिनके विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज की गयी तथा तीनों अभियंताओं को निलंबित भी किया गया.
सरकार ने वित्तीय क्षति के रूप में आकलित एक करोड़ 63 लाख 79 हजार 416 रुपये की वसूली समानुपातिक रूप से कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता, कनीय अभियंता व संवेदक से वसूली करने का आदेश सुपौल के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता को दिया. ग्रामीण कार्य विभाग बिहार पटना के पत्रांक 3084 दिनांक सात अगस्त 2013 के द्वारा यह आदेश कार्यपालक अभियंता सुपौल को दिया गया,
लेकिन तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद कार्यपालक अभियंता द्वारा राशि वसूल किये जाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं किया. जहां लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी अजय कुमार झा द्वारा कार्यपालक अभियंता चंदेश्वर सिंह यादव, राम देव चौधरी व वर्तमान कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर आजाद को दोषी माना गया.