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गैंगरेप पीड़िता की बिगड़ी तबीयत, इलाज में उजागर हुई चिकित्सकों की संवेदनहीनता

सुपौल : बिहार के सुपौल में प्रतापगंज इलाके में 08 अक्तूबर को गैंगरेप का शिकार हुई नाबालिग को पुलिस ने मंगलवार को एक बार फिर न्यायालय में 164 का बयान दर्ज कराने के लिए लायी, जहां पीड़िता की तबीयत अचानक बिगड़ गयी. इसके बाद कोर्ट के आदेश पर पीड़िता को सदर अस्पताल लाया गया. न्यायालय […]

सुपौल : बिहार के सुपौल में प्रतापगंज इलाके में 08 अक्तूबर को गैंगरेप का शिकार हुई नाबालिग को पुलिस ने मंगलवार को एक बार फिर न्यायालय में 164 का बयान दर्ज कराने के लिए लायी, जहां पीड़िता की तबीयत अचानक बिगड़ गयी. इसके बाद कोर्ट के आदेश पर पीड़िता को सदर अस्पताल लाया गया. न्यायालय के आदेश की प्रति रिसीव करने को लेकर डॉक्टर और परिजनों के बीच काफी देर तक बहस हुई.

पीड़ित परिजनों ने मामले की जानकारी डीएम महेंद्र कुमार को दी. इसके बाद पीड़िता का इलाज प्रारंभ किया गया. अब तक पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आयी है. वहीं अब इस मामले में अस्पताल में ऑन डयूटी चिकित्सक की भी लापरवाही सामने आयी है.

न्यायालय ने पीड़िता की हालात को देखते हुए पुलिस को इलाज कराने का लिखित निर्देश दिया. सीएस को भेजे गये निर्देश में अपर जिला सत्र न्यायाधीश प्रथम अशोक कुमार सिंह की अदालत ने अविलंब पीड़िता का इलाज शुरू करने का निर्देश दिया. साथ ही सीएस को न्यायालय ने निर्देश जारी कर पीड़िता के इलाज में प्रगति से न्यायालय को भी अवगत कराने का भी निर्देश दिया.

डीएम की पहल पर शुरू हुआ पीड़िता का इलाज
इसके बाद पुलिस अधिकारी पीड़िता को सदर अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने कोर्ट के आदेश को रिसीव तक करने से इन्कार कर दिया. इसके बाद चिकित्सक कक्ष में काफी देर तक पुलिस पदाधिकारी, परिजन व चिकित्सक की बहस होती रही. इसके बाद डीएम की पहल से पीड़िता का इलाज शुरू हो सका. न्यायालय के आदेश पर परिजन सहित पुलिस पदाधिकारी जब सदर अस्पताल पहुंचे और कोर्ट का लेटर मौजूद डॉक्टर को देते हुए पीड़िता का इलाज शुरू करने की बात कही, तो दूसरे डॉक्टर के एवज में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने पत्र लेने से इंकार करते हुए खुद वहां से ये कहते निकल गये की, जिसकी ड्यूटी है वो डॉक्टर पत्र को रिसीव करेंगे.

कुछ देर बाद ड्यूटी वाले डॉक्टर भी वहां पहुंच गये और उनसे भी पीड़ित परिजनों व पुलिस अधिकारी को लंबी बहस हुई. बावजूद ड्यूटी पर आये डॉक्टर भी कोर्ट के निर्देश को रिसीव नहीं किया. इस दौरान डॉक्टर का कहना था कि लेटर डीएस और सीएस ही रिसीव करेंगे. काफी देर बाद डीएस अरुण कुमार वर्मा अस्पताल पहुंचे, जिन्होंने पीड़िता का इलाज प्रारंभ कर दिया. इसके बाद मामला शांत हुआ.

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