सीवान. जिले की कई सड़कें जर्जर हालत में पहुंच गयी हैं, जिससे इन सड़कों पर चलना मुश्किल हो रहा है. तीतिरा पतार मुख्य मार्ग की दूरी तकरीबन 25 किलोमीटर है, जिसमें जिरादेई से खरगिरामपुर की दूरी तकरीबन चार किलोमीटर से अधिक है, जो सड़क काफी दयनीय स्थिति में आ गयी है.
इससे आवागमन में काफी असुविधा हो रही है. गाड़ियां हिचकोले खाती हैं. पैदल चलनेवालों को भी परेशानी हो रही है. तस्वीरें सड़कों की सच्चाई को बयां कर रही हैं, पर अभी तक सड़कों की मरम्मत नहीं की गयी. प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू की धरती की सड़कों की बदतर स्थिति को देखते हुए जिले की अन्य सड़कों के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है. आये दिन इस मार्ग से गुजरने वाले लोग दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं. इस मार्ग से स्थानीय विधायक और सांसद गुजरते हैं. स्थानीय लोग उनसे शिकायत भी करते हैं. लेकिन, केवल आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिलता है. चुनाव जीतकर आने वाले नेता यह कहकर निकल जाते हैं कि हमने इस रोड को पास करा दिया है, जल्द ही इसकी मरम्मत हो जायेगी और लोगों को जो परेशानियां हो रही हैं, उससे निजात मिल जायेगा. लेकिन देखते-देखते तकरीबन छह वर्ष बीत गये, पर अब तक इसका समाधान नहीं निकल पाया है. दूरदराज से आने वाले लोग अब यह कह रहे हैं कि पता नहीं इस सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढे में सड़क.तीन दर्जन गांवों को जोड़ती है यह सड़क
स्थानीय लोगों के मुताबिक तीतिरा पतार मुख्य मार्ग दो विधानसभा क्षेत्र जिरादेई और दरौली के साथ-साथ तकरीबन तीन दर्जन से अधिक गांव भरथुआ, भरथूई, खरगीरामपुर, गांगौली, शिवपुर सकरा, मनिया, छीनपुरा, लोहगाजर, बिकउर, परशुरामपुर, चंदौली, चांदपाली, गजियापुर, अर्कपुर, महमदपुर, कटवार, खैराटी, बलुआ मठिया, मझवालिया, भवानी स्थान, पिपरहिया, मुमुन्दपुर, बिस्वानिया सहित अन्य गांवों को जोड़ती है. इस मार्ग से प्रतिदिन सैकड़ों छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं. सड़क की खराब स्थिति के कारण दुर्घटनाएं आम बात हो गयी हैं. लोक निर्माण विभाग की लापरवाही के कारण स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है. सड़क की दयनीय स्थिति ने क्षेत्र के निवासियों के लिए दैनिक यात्रा को मुश्किल बना दिया है. स्थानीय प्रशासन से बार-बार शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. ग्रामीणों का कहना है कि विभाग की उदासीनता के कारण उन्हें गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है.सड़कों के निर्माण में नहीं किया जा रहा नियमों का पालन
सड़कों के निर्माण में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. सड़कों की ढलाई करते समय या फिर पिच करते समय जलनिकासी का कोई प्रावधान नहीं किया जाता है. सड़कों के बीच में थोड़ी ऊंचाई कर किनारे पानी निकालने की व्यवस्था नहीं की जाती है. इतना ही नहीं सड़कों के किनारे बनने वाली नालियों का भी निर्माण नहीं किया जाता है. वहीं सड़कों के दोनों तरफ ईंट सोलिंग नियम के अनुसार नहीं करने से सड़क जल्द ही टूट जाती है. ढलाई या पिच के समय विभाग का कोई भी इंजीनियर उपस्थित नहीं रहता है. मजदूर एवं मिस्त्री अपने मन के अनुकुल सड़कों का निर्माण कर देते हैं. इस कारण सड़कें कहीं ऊंची, तो कहीं नीची हो जाती है. सड़कें समतल नहीं हो पाती हैं. इससे भी लोगों को काफी परेशानी होती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है