सीवान. शिशु मृत्यु दर कम करने व शिशु व बच्चों की आहारपूर्ति के लिए स्वास्थ्य विभाग ने मां कार्यक्रम को लाया. जिले में इस कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन करीब सात साल पहले तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा कर दिया गया है.
कार्यक्रम की सफलता के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को विधिवत प्रशिक्षण भी दिया गया. लेकिन, पूर्ण रूप से यह कार्यक्रम धरातल पर नहीं उतर सका. लिहाजा शिशु मृत्यु दर में कमी लाने का सरकारी प्रयास जिले में विफल साबित हो रहा है. विभाग का मानना कि शिशु के जन्म के एक घंटे के अंदर मां अपने बच्चों को स्तनपान कराना शुरु कर दे तो करीब 20 प्रतिशत शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सकता है.जन्म से छह माह तक स्तनपान कराये जाने वाले शिशुओं में दस्त 11 गुना और निमोनिया 15 गुना नहीं होने की संभावना कम हो हो जाती है. पांच से कम उम्र के बच्चों की होने वाली मौत इन दो बीमारियों से अधिक होती है. इस कार्यक्रम से संबंघित डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों का पूर्ण प्रशिक्षण नहीं होने के कारण यह कार्यक्रम पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाया. प्रशिक्षण के बाद डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा प्रसव के बाद मां को अपने शिशु को एक घंटे के अंदर स्तनपान कराने के लिए जागरूक करना है. साथ ही महिलाओं को स्तनपान कराने के तरीके, महत्व और कैसे कराना है? इसकी जानकारी देना है.
छह माह तक शिशु को सिर्फ मां का दूध पिलाएं
चिकित्सकों का कहना है कि शिशु के जन्म लेने के एक घंटे बाद से छह माह तक शिशु को सिर्फ मां का दूध पिलाएं. विशेष परिस्थिति में डॉक्टर द्वारा सलाह देने पर शिशु को दवाएं और विटामिन दिया जा सकता है. यह शिशु के पहले टीकाकरण की तरह होता है. यह शिशु को कई बीमारियों से बचाने में मदद करता है. शिशु के जन्म के एक घंटे के बाद स्तनपान कराने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.यह आवश्यक नहीं है कि बच्चे को साफ करने या दूध निकलने की प्रतीक्षा की जाये. बच्चे के चुसने के साथ ही दूध का निकलना शुरू हो जाता है. शिशु का पेट छोटा होता है. इसलिए शिशु द्वारा मांग करते ही तुरंत मां को दूध पिलाना चाहिए. 24 घंटे में आठ से 12 बार दिन व रात में शिशु को दूध पिलाना आवश्यक है. स्तनपान मां तथा शिशु के बीच एक प्यार भरा नजदीकी संबंध कायम करने में सहायक है, जिसके कारण मां भावनात्मक रूप से बेहद संतुष्टि महसूस करती है. एक मां अपने शिशु के भूखे होने के इशारों को पहचानना सीख जाती है.
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