सीवान. खरीफ विपणन मौसम 2024-25 में पैक्स और व्यापार मंडलों द्वारा धान की खरीद के आधार पर राज्य खाद्य निगम को तय समय सीमा तक पूरी मात्रा में सीएमआर (चावल) की आपूर्ति न करने पर सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार के सचिव धर्मेंद्र सिंह ने सभी जिला सहकारिता पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि जो भी पैक्स और व्यापार मंडल निर्धारित समय सीमा तक सीएमआर की आपूर्ति नहीं कर पाये हैं, उनसे तत्काल कैश क्रेडिट ऋण की वसूली सुनिश्चित की जाये. सरकारी पत्र में बताया गया है कि खरीफ विपणन मौसम 2024-25 में जिले में कुल 97,737 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई थी. इसके आधार पर पैक्स और व्यापार मंडलों को कुल 65,978 मीट्रिक टन सीएमआर राज्य खाद्य निगम को देना था. अंतिम तिथि 14 सितंबर तक समितियों द्वारा 65,487 मीट्रिक टन चावल की आपूर्ति की गयी, लेकिन अब भी 491 मीट्रिक टन चावल की आपूर्ति बाकी है. सचिव धर्मेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया है कि सहकारी बैंकों द्वारा पैक्स और व्यापार मंडलों को दिया गया कैश क्रेडिट ऋण सरकारी धन है. यदि इसकी समय पर वसूली नहीं हुई तो सरकारी राशि का दुरुपयोग होगा, जिससे बिहार राज्य सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इसलिए बकाया राशि की वसूली को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाये. साथ ही यदि पैक्स और व्यापार मंडल समय पर पैसे वापस नहीं करते हैं, तो उनके पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा जायेगा और उनके खिलाफ अवार्ड वाद, अधिभार वाद तथा नीलाम पत्र वाद दायर किये जायेंगे. इसके बाद भी राशि की वसूली नहीं होने पर सरकारी धन के दुरुपयोग के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया जायेगा. सरकार ने साफ कहा है कि सरकारी धन की एक-एक पायी की वसूली हर हाल में सुनिश्चित की जायेगी. इसके लिए जिला स्तर के अधिकारी सख्ती से काम करें और जिम्मेदार लोगों को नहीं छोड़ा जाये. वहीं, संयुक्त निबंधक सहयोग समितियां, सारण प्रमंडल के सैयद मसरूक आलम ने सभी जिला सहकारिता पदाधिकारियों, प्रबंध निदेशकों एवं सहायक निबंधकों को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. आदेश में कहा गया है कि सीएमआर आपूर्ति नहीं करने वाले पैक्स पदाधिकारियों के विरुद्ध गबन की राशि की वसूली के लिए प्राथमिकी दर्ज करायी जाये. साथ ही राइस मिलरों के असहयोगात्मक रवैये की जांच कर उन्हें काली सूची (ब्लैकलिस्ट) में डालने की कार्यवाही सुनिश्चित की जाये. आदेश में यह भी उल्लेख है कि दोषी पैक्स, व्यापार मंडलों और मिलरों के कारण विभाग की छवि धूमिल हुई है और खाद्य शृंखला प्रभावित हुई है, जिससे सरकार को वित्तीय क्षति का खतरा बना है. निर्देशानुसार, गबन ग्रस्त राशि की वसूली के लिए नीलाम पत्र, अवार्ड केस और अधिभार वाद दायर किये जायेंगे तथा दोषियों के खिलाफ सक्षम न्यायालय में मुकदमे भी दर्ज किये जायेंगे. जब तक पूरी राशि सूद सहित वसूली नहीं हो जाती, तब तक कार्रवाई जारी रहेगी. सरकार का यह सख्त रुख खरीफ विपणन मौसम 2024-25 में वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक कड़ा संदेश है. जिले में सहकारी समितियों और व्यापार मंडलों को साफ तौर पर चेतावनी दी गयी है कि वे सरकारी धन का दुरुपयोग न करें और समयबद्ध तरीके से जिम्मेदारियां पूरी करें.
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