प्रतिनिधि, सीवान. सदर अस्पताल में इन दिनों निजी एंबुलेंस चालकों एवं दलालों की दादागिरी चल रही है. अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल परिसर में मरीजों के परिजनों को दलालों से सतर्क रहने की होर्डिंग लगाकर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर दिया गया है. निजी एंबुलेंस चालक एवं दलाल किस्म के लोगों की 24 घंटे सदर अस्पताल में आने वाले मरीजों पर गिद्ध दृष्टि लगी रहती है.मरीज एवं उनके परिजनों के साथ अस्पताल के अंदर प्रवेश कर जाते हैं.मरीजों के परिजनों से पहले मरीज की हालत गंभीर बताकर डॉक्टरों पर मरीज को रेफर करने के लिए दबाव बनाने लगते है.कभी-कभी तो निजी एंबुलेंस चालक एवं दलाल मरीजों को जल्दी निजी अस्पतालों में ले जाने के लिए स्वयं मरीजों का मलहम पट्टी करने में स्वास्थ्यकर्मियों का सहयोग करते है.डॉक्टर जब मरीज की हालत गंभीर बता कर रेफर करने की बात कहकर पर्ची बनाने में लग जाते है तब पता चलता है कि मरीज को निजी एंबुलेंस चालक एंबुलेंस में लोड कर चुके हैं.यह सब सदर अस्पताल में तैनात सुरक्षाकर्मियों, डॉक्टरों एवं स्वास्थ्यकर्मियों की उपस्थिति में होता है.जब डॉक्टर एवं स्वास्थ्यकर्मी इसका विरोध करते हैं तो उन्हें भी एंबुलेंस चालकों द्वारा धमकाया जाता है.कभी-कभी स्वास्थ्य केंद्रों से मरीज सदर अस्पताल परिसर में सरकारी एंबुलेंस से आते है तथा डॉक्टर के बिना देखे मरीज को प्राइवेट एंबुलेंस के चालक अपनी गाड़ी में लोड कर निकल जाते है. प्राइवेट एवं सरकारी स्वास्थ्यकर्मी भी करते हैं बिचौलिया का काम सदर अस्पताल में काम करने वाले अनधिकृत स्वास्थ्यकर्मियों के साथ-साथ कुछ सरकारी कर्मचारी भी बिचौलिया का काम करते हैं.जब भी कोई मरीज सदर अस्पताल में उपचार करने आता है.इनके द्वारा इसकी सूचना निजी एंबुलेंस चालकों या निजी अस्पताल के लिए काम करने वाले लोगों को दे जाती है.इसके बाद निजी अस्पतालों के लिए काम करने वाले एंबुलेंस चालक पहुंचते है तथा मरीजों के परिजनों का ब्रेन वाश कर मरीज को लेकर निजी अस्पतालों में चले जाते है.शहर के लगभग आधा दर्जन से अधिक निजी अस्पतालों के लिए कम करने वाले बिचौलिए सदर अस्पताल में सक्रिय हैं. पटना एवं गोरखपुर के निजी अस्पतालों के एंबुलेंस के चालक मरीजों को कम पैसे में ले जाने के लिए तैयार रहते है.इस प्रकार के एंबुलेंस चालक पीएमसीएच रेफर मरीजों को भी अपनी एंबुलेंस की सेवा कम दाम पर देते है. जब वे मरीज को सीवान से लेकर चलते है तो रास्ते में परिजनों को अच्छी सेवा निजी अस्पतालों में मिलने की बात कह कर उनका ब्रेन वाश कर देते है. एंबुलेंस चालक मरीज को लेकर निजी अस्पतालों में लेकर पटना पहुंचते है तो उन्हें अस्पताल द्वारा एक मोटी रकम मिल जाती है.यह सब काम इतना गोपनीय तरीके से किया जाता है कि मरीजों के परिजनों को पता नहीं चलता है. इलाज के दौरान अस्पताल द्वारा जब मोटी रकम की डिमांड की जाती है तब परिजनों की आंख खुलती है. क्या कहते हैं जिम्मेदार सदर अस्पताल के गार्ड एवं स्वास्थ्यकर्मियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि कोई भी प्राइवेट कर्मचारी को अंदर नहीं आने देना है.अगर काम करते पाया गया तो संबंधित कर्मचारी के विरूद्ध करवाई की जायेगी. डॉक्टर अनिल कुमार सिंह, अधीक्षक, सदर अस्पताल, सीवान
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