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जिले में पपीते की खेती को किया जायेगा प्रोत्साहित

जिले के किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़कर उद्यानिक फसलें लगाने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. पारंपरिक खेती की तुलना में उद्यानिक फसलें लगाने से किसानों को काफी फायदा हो रहा है. कृषि विभाग के अनुसार पपीते की खेती किसानों की झोली भर रही है. जिले में पपीते की खेती को बढ़ावा देने के लिए उद्यान निदेशालय की ओर से एक ओर पहल शुरू की जा रही है.

सीवान. जिले के किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़कर उद्यानिक फसलें लगाने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. पारंपरिक खेती की तुलना में उद्यानिक फसलें लगाने से किसानों को काफी फायदा हो रहा है. कृषि विभाग के अनुसार पपीते की खेती किसानों की झोली भर रही है. जिले में पपीते की खेती को बढ़ावा देने के लिए उद्यान निदेशालय की ओर से एक ओर पहल शुरू की जा रही है. प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना के तहत पपीते की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.सरकार की योजना पपीते की खेती को बढ़ावा देकर किसानों की आमदनी बढ़ाना है. जिला उद्यान पदाधिकारी विपिन कुमार पोद्दार ने बताया कि इस बार जिले में 10 हेक्टेयर क्षेत्र में पपीता की खेती करने की योजना है. योजना के तहत किसानों को रेड लेडी प्रभेद के पपीते उपलब्ध कराया जायेगा. इस पर किसानों को विभाग की ओर से 75 फीसदी अनुदान भी दिया जायेगा. किसानों को पौधे विभाग की ओर से ही उपलब्ध कराये जायेंगे. अभी 40 से 50 रुपये किलो पपीता बिकता है. एक हेक्टेयर में एक अनुपात आठ की दर से 2500 पौधे लगाये जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि इसका लाभ लेने के लिए किसान ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. रेड लेडी प्रभेद का पौधा छह से सात महीने में फल देने लगता है. इसकी खेती के लिए दोमट और बलुआही दोनों ही मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. अधिकतम मिलेंगे 10 हजार पौधे विभागीय जानकारी के मुताबिक एक किसान को कम से कम 250 और अधिकतम 10 हजार पौधे मिलेंगे. पौधे लगाने के लिए किसान खेतों की जोताई के बाद दो-दो मीटर की लाइन और एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी दो मीटर रख सकते हैं. इसके बाद मेड़ बनाकर एक एक फीट गड्डा खोदकर उर्वरक देकर पौधे लगाकर सिंचाई की जाती है. वही अनुदान के रूप में किसानों को साढ़े छह रुपये प्रति पौधे मिलेंगे. वहीं दूसरे वर्ष साढ़े चार रुपए वापस कर दिए जायेंगे. इसके लिए पौधा बचाकर रखना होगा. पहले आओ पहले पाओ के तर्ज पर किसानों को मिलेगा लाभ जिला उद्यान पदाधिकारी ने बताया कि जिले में इस साल दस हेक्टेयर में पपीते की खेती होगी. एक किसान को न्यूनतम 0.1 हेक्टेयर और अधिकतम चार हेक्टेयर का लाभ दिया जाएगा. इस योजना के तहत पहले आओ, पहले पाओ की तर्ज पर किसानों को लाभ मिलेगा.

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