प्रतिनिधि,सीवान.इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में जिले में परदेसी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते नजर आए. अनुमान है कि दो से ढाई लाख प्रवासी मतदाताओं की घर वापसी के कारण जिले में मतदान प्रतिशत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. जानकारों का कहना है कि इन मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी आगामी चुनाव परिणामों को सीधा प्रभावित कर सकती है. कई सीटों पर प्रवासी मतदाता गेमचेंजर साबित हो सकते हैं. संयोग यह रहा कि इस बार लोकआस्था का महापर्व छठ और लोकतंत्र का महापर्व चुनाव लगभग एक साथ आए.आस्था और नागरिक जिम्मेदारी के इस संगम ने जिले में उत्साह का नया माहौल बना दिया.सीवान जिले में कुल 24,50,672 मतदाता हैं. मतदान की तारीख छठ पर्व के छह दिन बाद तय की गई थी. ऐसे में दिल्ली, मुंबई, गुजरात, पंजाब, राजस्थान से लेकर खाड़ी देशों तक काम करने वाले प्रवासी जब छठ मनाने अपने घर लौटे, तो उन्हें इस बार पूजा और मतदान दोनों में शामिल होने का अवसर मिला.सीवान पारंपरिक रूप से प्रवासी जिला माना जाता है. हर साल छठ पर यहां के घाटों पर उमड़ने वाली भीड़ जिले की सांस्कृतिक पहचान बन गई है.इस बार वही भीड़ पूजा के बाद मतदान केंद्रों तक पहुंची. प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम और अर्धसैनिक बलों की तैनाती के बीच मतदान पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा.आंकड़ों के अनुसार, जिले में औसतन 60.54 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, जो पिछले चुनावों की तुलना में अधिक है. सीवान सदर विधानसभा सभा क्षेत्र में 59.70%,जीरादेई में 57.17%,दरौली (सु) में 57.00%,रघुनाथपुर में 61.45%,दरौंदा में 58.90%,बड़हरिया में 63.56%,गोरेयाकोठी में 64.06% एवं महाराजगंज: 61.99% प्रतिशत मतदान हुआ.सबसे अधिक मतदान गोरेयाकोठी और बड़हरिया विधानसभा क्षेत्रों में हुआ.आस्था और लोकतंत्र के इस संगम ने सीवान को इस चुनाव में खास बना दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि छठ के साथ लौटे प्रवासी मतदाता इस बार नतीजों की दिशा तय करने में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.आस्था और लोकतंत्र के इस दुर्लभ संगम ने सीवान को चुनावी नक्शे पर खास पहचान दी है. अब सभी की निगाहें 14 नवंबर को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं, जहां प्रवासी मतदाताओं का जलवा दिखेगा या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा.
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