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प्रबंधन को लेकर चिकित्सकों को मिली ट्रेनिंग

सोमवार को सिविल सर्जन कार्यालय के सभागार में डेंगू और चिकनगुनिया के नियंत्रण एवं प्रबंधन को लेकर चिकित्सकों के लिए एक दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम का संचालन सदर अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर एवं मास्टर ट्रेनर डॉ. सुरेंद्र कुमार ने किया

प्रतिनिधि, सीवान. सोमवार को सिविल सर्जन कार्यालय के सभागार में डेंगू और चिकनगुनिया के नियंत्रण एवं प्रबंधन को लेकर चिकित्सकों के लिए एक दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम का संचालन सदर अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर एवं मास्टर ट्रेनर डॉ. सुरेंद्र कुमार ने किया. उन्होंने प्रशिक्षण में डेंगू बुखार के क्लिनिकल मैनेजमेंट, चेतावनी संकेतों की पहचान, शॉक और जटिलताओं से बचाव तथा मरीजों की देखभाल पर विस्तृत जानकारी दी. डॉ. सुरेंद्र कुमार ने बताया कि डेंगू का कोई विशिष्ट एंटीवायरल इलाज नहीं है. इसका उपचार सहायक और लक्षणानुसार होता है. इसका मुख्य उद्देश्य शरीर में पर्याप्त हाइड्रेशन बनाए रखना, चेतावनी संकेतों की पहचान करना और जटिलताओं से बचाव करना है. उन्होंने बताया कि डेंगू तीन प्रकार का होता है – चेतावनी संकेतों के बिना डेंगू, चेतावनी संकेतों वाला डेंगू, और गंभीर डेंगू या शॉक. हल्के मामलों में मौखिक तरल पदार्थ, पैरासिटामोल और दैनिक निगरानी जरूरी होती है. चेतावनी संकेत वाले रोगियों को अस्पताल में भर्ती कर क्रिस्टलोइड्स, हेमाटोक्रिट और प्लेटलेट्स की नियमित जांच करनी चाहिए. गंभीर डेंगू या शॉक में तेजी से फ्लूइड्स, अंग समर्थन और जरूरत पड़ने पर रक्त हस्तांतरण दिया जाता है.डॉ. कुमार ने प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन के संकेत, मूत्र उत्पादन, हेमाटोक्रिट और पल्स प्रेशर की निगरानी के महत्व पर भी जोर दिया. इसके अलावा उन्होंने डेंगू से बचाव के लिए मच्छर नियंत्रण, मच्छरदानी, रिपेलेंट और टीकाकरण की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला. इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ. श्रीनिवास प्रसाद ने कहा कि जिले में डेंगू और चिकनगुनिया की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सतर्क है और सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर दवा और जांच की समुचित व्यवस्था की गई है. डीएमओ डॉ. ओ.पी. लाल ने आम लोगों से अपील की कि वे अपने आसपास पानी जमा न होने दें और मच्छरों से बचाव के उपाय अपनाएं. उन्होंने कहा कि जनजागरूकता अभियान चलाकर लोगों को सतर्क किया जा रहा है.इस प्रशिक्षण का उद्देश्य चिकित्सकों को रोग की समय पर पहचान, सही प्रबंधन और जटिलताओं से बचाव के लिए सुसज्जित करना था, जिससे जिले में डेंगू और चिकनगुनिया नियंत्रण और प्रभावी तरीके से संभव हो सके.

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