महाराजगंज. आधुनिकता की चकाचौंध में लोग पूरी तरह रंगने लगे हैं. पुरानी परंपराएं, रीति-रिवाज और सभ्यता को दरकिनार कर लोग आधुनिकता की सवारी कर रहे हैं. सुविधा और सुव्यवस्थित व्यवस्था भी इसका बड़ा कारण बन रही है. पहले घरों में होने वाली शादियां या समारोह अब रिजॉर्ट में होने लगे हैं. इससे समय और परेशानियों से राहत भी मिलती है, लेकिन कुछ लोगों की सुविधा कई लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गयी है. महाराजगंज शहर की बात की जाये, चार किलोमीटर के दायरे में फैले इस शहर में लगभग आधा दर्जन रिजॉर्ट हैं. इसमें से आधे शहरी आबादी के बीच स्थित हैं. तो लग्न का महीना शुरू होते ही शहरवासियों का जीना मुश्किल हो गया है. शादी समारोह की धूम में आम लोगों की जिंदगी प्रभावित हो रही है. शाम ढलते ही रिजॉर्ट और मैरेज हॉलों में कानफोड़ू आवाज में गाने बजने लगते हैं. पटाखों की आवाज से हर कोई परेशान है. शहर के बीचों-बीच उग आये दर्जनों मैरेज हॉल के आसपास रहने वालों का सुख-चैन छिन गया है. शादी-ब्याह का महीना जहां खुशी का माहौल बनाता है, वहीं अब स्थिति बदल चुकी है. समारोहों की भव्यता के नाम पर बड़े-बड़े डेक, डीजे और ध्वनि विस्तारक यंत्रों से होने वाला शोर आम जनमानस के लिए पीड़ादायक बन गया है. इससे अध्ययनरत छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है. बुजुर्गों को शोर की वजह परेशानी होती है. बीमारों की स्थिति और खराब हो रही है. ध्वनि प्रदूषण लोगों की से जिंदगी में जहर घोल रहा है.
फूहड़ गीतों से शर्मिंदगी का अहसास
मैरेज हॉलों से आसपास की आबादी को लगातार असहज परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. खासकर डीजे पर बज रहे फूहड़ और भद्दे भोजपुरी गीतों से महिलाएं और बच्चियां शर्मसार हो रही हैं. लोग घरों में एक-दूसरे से नजर मिलाने में असहज महसूस कर रहे हैं. देर रात तेज आवाज लोगों की नींद और मानसिक शांति छीन रही है. साथ ही नृत्य के दौरान फब्तियां कसने वाले कुछ बाराती महिलाओं को और अधिक परेशानी में डाल रहे हैं.जाम का भी कारण बन रहे रिजॉर्ट
महाराजगंज शहर के चारों ओर रिजॉर्ट और मैरेज हॉलों का जाल बिछा है. कई मैरेज हॉल में पार्किंग की भी उचित व्यवस्था नहीं है. जहां व्यवस्था है, वहां भी मुख्य सड़कों का उपयोग पार्किंग स्थल के रूप में किया जाता है. ऐसे में शहर की सड़कों पर वाहनों का दबाव बढ़ गया है, जिसके कारण जाम की समस्या और गंभीर हो गई है.10 बजे के बाद डीजे पर रोक का असर नहीं
सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि रात 10 बजे के बाद डीजे नहीं बजाए जायेंगे. तेज आवाज में ध्वनि प्रदूषण फैलाने पर कठोर कार्रवाई का प्रावधान है. हैरानी की बात यह है कि न तो शहरवासी इस गंभीर समस्या को लेकर जागरूक हो रहे हैं, और न ही प्रशासन कोई ठोस कदम उठा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

