सीवान/सिसवन : पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयास से सऊदी अरब के जेल में बंद 41 भारतीयों को 2014 में घर वापसी करायी गयी थी. इनमें सीवान के सिसवन प्रखंड के चैनपुर निवासी शाहजहां हुसैन के पुत्र अतिउल्लाह शेख समेत आधा दर्जन लोग शामिल थे. उनका कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने बिजली करेंट से एक सहकर्मी की हुई मौत पर मुआवजे के लिए आंदोलन किया था.
अपने बेटे की रिहाई पर सुषमा स्वराज को याद करते हुए चैनपुर निवासी शाहजहां हुसैन की आंखें डबडबा गयीं. परिजनों के मुताबिक सऊदी अरब के मक्का शहर स्थित नेशमा एंड पार्टनर कंपनी में भारत के करीब एक हजार से अधिक मजदूर काम करते थे. उसी दौरान वर्ष 2013 के रमजान महीने में कंपनी के अंदर इलेक्ट्रिक शॉर्ट लगने से गोरेयाकोठी प्रखंड के हारुन मुश्ताक की मौत हो गयी. कंपनी में तैनात गार्डों ने
साक्ष्य को छुपाने के लिए मृत मजदूर के शरीर से कंपनी के यूनिफॉर्म (वर्दी) को उतार कर काले पॉलीथिन में शव को डाल रहे थे, जिसका भारतीय सुरक्षा गार्ड ने विरोध कर दिया. इससे सऊदी और भारतीय गार्डों के बीच जमकर झड़प हो गयी. यह देख सैकड़ों भारतीय मजदूर तुरंत इकट्ठा हो गये और मृत मजदूर को समान के साथ भारत वापस भेजने और मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन पर उतर गये. इसमें विदेश मंत्रालय के प्रभार रहीं सुषमा स्वराज ने 20 दिनों अंदर 41 भारतीयों को छुड़ा लिया था़