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वार्ड पार्षद रंजना श्रीवास्तव व जयप्रकाश गुप्ता ने की थी शिकायत

जिलाधिकारी ने दो सदस्यीय टीम से करायी थी मामले की जांच सीवान : नगर पर्षद में हुए एलइडी स्ट्रीट लाइट, डस्टबीन खरीदारी और राजेंद्र पार्क का निर्माण में वित्तीय अनियमितता का मामला फिर से उजागर हुआ है. इसकी जांच जिलाधिकारी ने शिकायत मिलने पर जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी से कराया था. जांच रिपोर्ट भेजने […]

जिलाधिकारी ने दो सदस्यीय टीम से करायी थी मामले की जांच

सीवान : नगर पर्षद में हुए एलइडी स्ट्रीट लाइट, डस्टबीन खरीदारी और राजेंद्र पार्क का निर्माण में वित्तीय अनियमितता का मामला फिर से उजागर हुआ है. इसकी जांच जिलाधिकारी ने शिकायत मिलने पर जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी से कराया था. जांच रिपोर्ट भेजने के बाद नगर विकास एवं आवास विभाग के संयुक्त सचिव सह उप निदेशक ने तत्कालीन नगर सभापति, उप सभापति सहित स्थायी समिति के सदस्यों से स्पष्टीकरण पूछा है. जानकारी के अनुसार तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी आरके लाल द्वारा 400 लाइट के अधिष्ठापन का कार्यादेश निर्गत किया गया था. इसमें 48 वॉट के लिए 40 हजार 800 रुपये प्रति सेट दर तय की गयी थी. साथ ही इसके लिए छह मीटर ऊंची पोल की कीमत 18 हजार रुपये प्रति पोल तय हुई थी.
इस तरह लाइट एवं पोल के एक सेट की दर 58 हजार 800 रुपये पहुंचा था. जांच में अधिकारियों ने पाया कि तत्कालीन जिला पदाधिकारी द्वारा एलइडी लाइट की 48 वॉट बल्ब की 29 हजार 900 रुपये का आकलन था है. नेट पर जीआई पोल छह मीटर की कीमत आठ हजार 550 रुपये प्रति पीस पायी गयी है. इससे पोल सहित लाइट की कीमत एक सेट की 38 हजार 450 रुपये होती है. नगर पर्षद द्वारा पोल सहित एक सेट की कीमत 58 हजार 800 रुपये भुगतान किया गया है.
इससे प्रति सेट 20 हजार 350 रुपये अधिक भुगतान की गयी है. इसमें नप से 80 लाख रुपये ज्यादा भुगतान किया है. इस प्रकार 400 सेट में 80 लाख चालीस हजार रुपये अधिक भुगतान किया है. अगर लेखाकार कार्यालय द्वारा आकलित बल्ब की कीमत को ध्यान में रखा जाये तो पोल सहित बल्ब के एक सेट की कीमत 34 हजार 550 रुपये आती है. इसके आलोक में 24 हजार 250 रुपये प्रति सेट अधिक भुगतान की गयी है. इससे 97 लाख रुपये अधिक भुगतान संभावित हुआ है. मामले में वार्ड पार्षद रंजना श्रीवास्तव व जय प्रकाश गुप्ता ने तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी आरके लाल पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए शिकायत किया था. जिसमें उन्होंने बिना निविदा के सामान के क्रय का आरोप लगाया था. शिकायत पत्र में सामान की खरीदारी बाजार से ऊंची दर पर करने की बात कही गयी थी.
शिकायत प्रधान सचिव, नगर विकास एवं आवास विभाग से की गयी थी. शिकायत मिलने के बाद जांच जिला लोक निवारण पदाधिकारी कुमार रामानूज व पथ प्रमंडल विभाग के कार्यपालक अभियंता द्वारा किया गया था. रिपोर्ट में तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी आरके लाल द्वारा 400 लाइट के अधिष्ठापन का कार्यादेश निर्गत किया गया था. यह आपूर्ति आदेश वार्ड पार्षदों से प्राप्त मांग के आधार पर नगर सभापति के अनुमोदन प्राप्त होने पर दिया गया था. एलईडी लाइट का क्रय पूर्व के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा निर्धारित दर पर किया गया. यहीं नहीं समय से पहले ही आपूर्तिकर्ता की सुरक्षित राशि को भी कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा लौटा दिया गया, जो नियम विरुद्ध है. वर्ष 2014 में सुरक्षित जमा लौटा देने की स्थिति में आपूर्तिकर्ता एक और वर्ष के लिए अधिष्ठापित एलइडी सेट की देखरेख के उत्तदायित्व से मुक्त हो गया. नप पर देखरेख के लिए आवश्यक राशि का अतिरिक्त बोझ आ गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि 97 लाख रुपये का अधिक भुगतान इसके लिए करना पड़ा है.
इसके लिए तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी राजीव कुमार, आरके लाल, पूर्व नगर सभापति बबलू चौहान तथा निविदा की स्वीकृति में शामिल सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों से पूछा कर नियमानुसार कार्रवाई की जा सकती है. जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद नगर विकास एवं आवास विभाग के संयुक्त सचिव ने पूर्व नगर सभापति बबलू चौहान, पूर्व उप सभापति कर्णजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह, पूर्व सशक्त स्थायी समिति सदस्य अभिनव श्रीवास्तव उर्फ रानु, किरण देवी, सुनीता देवी, मोहम्मद खालिक, अभिनाष कुमार सिंह से स्पष्टीकरण पूछा है.
मेरे पास नगर विकास एवं आवास विभाग से कोई एलइडी लाइट के मामले में स्पष्टीकरण का पत्र नहीं मिला है. अगर पत्र आयेगा तो जवाब दिया जायेगा.
बबलू चौहान, पूर्व नगर सभापति सीवान
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