सीतामढ़ी. रावण क्या कभी मां सीता का हरण कर सकता था, लेकिन मां सीता ने सबरी की उस पथरीली आंखों, विभीषण की राम राम की जाप और हनुमान की वीरता को दिखलाने के लिये हरण हुई. यह मां जानकी की लीला थी. मां जानकी का प्राकट्य विश्व कल्याण के लिये हुआ था. उक्त बातें जानकी प्राकट्य स्थली, पुनौराधाम के सीता प्रेक्षागृह में एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप शामिल सूबे के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने संबोधित करते हुए कही.
उन्होंने कहा कि हिंदी प्रदेशों में ही नहीं, सुदूरवर्ती दक्षिण के प्रदेशों में भी मां जानकी और भगवान श्री राम प्रेरणा के श्रोत हैं. कहा कि मानव की एक प्रकृति है श्रद्धा और आदर. प्रेरणाश्रोत वे होते हैं, जिनसे लाभ प्राप्त होता है. बच्चों को संस्कार और सुधारने के लिए प्रेरणा पुरुषों के साथ नारी भी हैं, इसलिए भगवान श्री राम को मर्यादा पुरूषोतम कहा जाता है. मां सीता में तो धरती का गुण उत्पत्ति और स्थिति से है. ज्ञानी पुरुष आत्मा को जानने की कोशिश करते हैं. ब्रह्म और आत्म ज्ञान से प्राप्त ज्ञानी पुरुष साधारण व्यक्ति से ज्यादा मेहनत करते हैं. वे स्वार्थी नहीं होते और हमेशा मानव कल्याण में रहते हैं.आतंकवाद के खात्मे के लिये आज हरेक नागरिक देश के साथ
इससे पूर्व उन्होंने कहा कि सैनिक सुनिश्चित करते हैं कि देशवासी किस तरह सुरक्षित रहें. घर से वीर सैनिक की पत्नियां बहादुरी से अपने पति को विदा करती हैं. सैनिक भारत मां के ऐसे सपूत हैं, जो अपनी जान को जोखिम में डालकर अपनी भारत मां को सुरक्षित रखने का काम करते हैं. आतंकवाद से देशवासी आजीज आ चुके हैं. मासूमों का काफी खून बह चुका है. आतंकवाद के खात्मे के लिए हरेक नागरिक आज देश के साथ खड़ा है. उन्होंने वैसी नवविवाहिताओं को वीरांगना करार दिया, जिन्होंने शादी के दो-चार दिन बाद अपने वीर सैनिक पति को सरहद की सुरक्षा के लिये भेज रही हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है