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घोटाला : सात अभियंताओं पर कार्यवाही शुरू

घोटाला : सात अभियंताओं पर कार्यवाही शुरू (पेज तीन के लिए)– बावजूद आरोपितों पर नहीं हुई ठोस कार्रवाई — पूर्व सांसद नवल किशोर राय ने मंत्री को फिर भेजा पत्र — मंत्री को याद दिलायी जीरो टॉलरेंस की नीति सीतामढ़ी : बागमती तटबंध व अधवारा समूह के जमुरा-झीम तटबंध के निर्माण में करोड़ों की हुई […]

घोटाला : सात अभियंताओं पर कार्यवाही शुरू (पेज तीन के लिए)– बावजूद आरोपितों पर नहीं हुई ठोस कार्रवाई — पूर्व सांसद नवल किशोर राय ने मंत्री को फिर भेजा पत्र — मंत्री को याद दिलायी जीरो टॉलरेंस की नीति सीतामढ़ी : बागमती तटबंध व अधवारा समूह के जमुरा-झीम तटबंध के निर्माण में करोड़ों की हुई लूट के मामले में सात अभियंताओं के खिलाफ कार्यवाही शुरू कर दी गयी है. वैसे यह सच है कि इस गंभीर मामले में आरोपितों पर अब तक ठोस कार्रवाई नहीं की गयी है. यह बात पूर्व सांसद व शिकायतकर्ता नवल किशोर राय चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे हैं. श्री राय द्वारा जल संसाधन विभाग के मंत्री को सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति की याद दिला कर बार-बार आरोपितों पर कार्रवाई करने की मांग की जा रही है. फिर भी विभाग के स्तर से वह कदम नहीं उठाया जा रहा है जो उठाना चाहिए था. — करोड़ों के घोटाले का मामला पूर्व सांसद श्री राय ने विभागीय मंत्री से तटबंध के निर्माण में करोड़ों रुपये की लूट, लीड की गड़बड़ी, इंडियन स्टैडर्ड का पालन नहीं करने, कम्पैक्शन नहीं देने व निविदा की शर्तों के विरूद्ध कार्य कराये जाने की बाबत शिकायत की थी. मंत्रीमंडल निगरानी द्वारा शिकायतों की जांच की गयी थी. जांच रिपोर्ट में अवैध भुगतान के लिए कार्यपालक अभियंता रहे भीमशंकर राय को दोषी माना गया था. वहीं सत्यापित लीड के बिना लीड युक्त कार्य मद के भुगतान के लिए लेखा लिपिक संजय कुमार, लेखापाल राजीव कुमार व लेखा पदाधिकारी अजय कुमार को जिम्मेदार माना गया था. निगरानी विभाग के सरकार के उपसचिव ने जल संसाधन के प्रधान सचिव से उक्त दोषी अभियंता व अन्य के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने की अनुशंसा की थी. — जांच में यह मिली गड़बड़ी जांच में परत दर परत मिट्टी का कार्य नहीं कराने की बात सामने आयी थी. एकरारनामा के विरूद्ध तटबंध के 20 मीटर के अंदर से मिट्टी काटा गया था. इसके लिए संवेदक को दोषी माना गया था. फसल व जमीन के मुआवजे का भुगतान समुचित ढ़ंग से भुगतान नहीं किया गया और इस मद की बड़ी राशि का गबन कर लिया गया. इसके लिए भी संवेदक को हीं दोषी माना गया है. — बिना अनुमति संवेदक की बहाली जांच के दौरान यह उजागर हुआ था कि ब्रह्मपुत्रा इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड द्वारा एकरारनामा शर्तों के विपरित बिना विभागीय अनुमति के कार्य को सबलेट करने के लिए दोषी माना गया है. क्योंकि एकरारनामा में संवेदक को किसी स्थानीय एजेंसी को बहाल करने का अधिकार नहीं है. फसल मुआवजा मद की 4.51 करोड़ के गबन की बात सामने आयी थी. वहीं स्लुईस मरम्मती का कार्य कराये बगैर दो लाख 81 हजार 172 रुपया प्राप्त कर गबन कर लेने का आरोप है. — इन पर शुरू है कार्रवाई निगरानी कोषांग के संयुक्त सचिव के स्तर से चार फरवरी 16 को जारी एक पत्र के अनुसार उक्त मामले में सात अभियंताओं के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी गयी है, जिसमें सेवानिवृत्त कार्यपालक अभियंता श्रीधर वासुदेव, तत्कालीन सहायक अभियंता अंबिका प्रसाद भगत, रवींद्र कुमार, तत्कालीन कनीय अभियंता प्रताप नारायण सिंह, जटाशंकर प्रसाद, दिलीप कुमार व लालींद्र कुमार ठाकुर शामिल हैं. विभागीय कार्यवाही के लिए नहर संरचना रूपाकन अंचल, पटना के अधीक्षण अभियंता योगेश्वरधारी सिंह को संचालन पदाधिकारी बनाया गया है.

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