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विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर शेखपुरा टाल क्षेत्र के महादलित

रंजीत कुमार /उमेश प्रसाद शेखपुरा : बिहार के शेखपुरा जिले के घाटकुसुंभा प्रखंड के टाल क्षेत्र के महादलितों के जीवन की विडंबना ही है कि उन्हें हर साल बरसात के बाद सरदी के मौसम में विस्थापन का दंश झेलना पड़ रहा है. हालांकि, स्थानीय प्रशासन की ओर से जमीन धंसने के बाद ढहने वाले मकानों […]

रंजीत कुमार /उमेश प्रसाद
शेखपुरा : बिहार के शेखपुरा जिले के घाटकुसुंभा प्रखंड के टाल क्षेत्र के महादलितों के जीवन की विडंबना ही है कि उन्हें हर साल बरसात के बाद सरदी के मौसम में विस्थापन का दंश झेलना पड़ रहा है. हालांकि, स्थानीय प्रशासन की ओर से जमीन धंसने के बाद ढहने वाले मकानों की क्षतिपूर्ति के लिए अनुदान राशि प्रदान की जाती है, मगर वह होने वाले नुकसान के मुकाबले ऊंट के मुंह जीरा के समान ही होता है. लोगों की परेशानी का आलम यह है कि स्थानीय प्रशासन की ओर से अभी तक इस समस्या का स्थान समाधान नहीं निकाला जा सका है. कहने के लिए तो स्थानीय प्रखंड कार्यालय की ओर से जमीन धंसने की घटना के शुरू होते ही लोगों के मकान के होने वाले नुकसान की रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी गयी है, लेकिन उनके विस्थापन को रोकने संबंधी कोई माकूल उपाय नहीं किया जा सका है.
महादलितों के मकान गिरने का जारी है सिलसिला
टाल क्षेत्र के घाटकुसुंभा प्रखंड में पानापुर पंचायत बसा है. इस पंचायत में महादलित समुदाय के लोगों की आबादी अधिक है. यहां के लोग अभी बरसात में आयी बाढ़ जैसी भीषण प्राकृतिक आपदा से उबर भी नहीं पाये थे कि अब उन्हें जमीन धंसने की नयी आफत का सामना करना पड़ रहा है. इस नयी आफत ने इस टाल क्षेत्र के महादलितों को बेघर करना शुरू कर दिया है. यहां के निवासी अपनी जान बचाने के लिए गांव छोड़कर दूसरे गांव में आसरा लिये हुए हैं या फिर पास के ही किसी अन्य गांव अथवा प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराये गये शिविरों में ठहरे हुए हैं. आलम यह है कि जमीन धंसने के कारण यहां के महादलितों के मकान इतने अधिक क्षतिग्रस्त हो गये कि उनकी मरम्मत कराना भी आसान नहीं है.
सोमे नदी के किनारे बसे गांवों में हैं जमीन धंसने की समस्या
दरसअल, टाल क्षेत्र में महादलितों समेत अन्य घरों के धंसने की यह समस्या सोमे नदी के किनारे बसे गांवों और बनाये गये मकानों के बीच अधिक विकराल हो गयी है. इस नदी के किनारे बने मकानों के धंसने की घटना में अब तक करीब 20 से महादलितों के मकानो में दरार आने से बुरी तरह क्षति ग्रस्त हो गया है. वहीं, 10 महादलितों का मकान पूरी तरह धराशायी हो गया है. इस घटना के वाद प्रभावित परिवार सरकारी भवन, आस-पड़ोस के घरों के अलावा सड़क पर रात गुजारने को मजबूर है. आलम यह है कि पिछले तीन दिनों से लगातार जमीन और मकान धंसने से लोगों में दहशत का माहौल है.
दो फीट छह इंच तक जमीन में धंस गया मकान
पानापुर पंचायत में जमीन धंसने की घटना में पानापुर गांव के महादलित चनो मोची, मंटू मोची, दुखी मोची, दशरथ मोची, मनोज मोची, राजो मोची, भोला मोची, शंकर मोची, परशुराम राम, ब्रह्मदेव मोची, अशोक मोची समेत अन्य कई लोगों का मकान पूरी तरह से गिर गया. वहीं, इस गांव के करीब 20 अन्य परिवारों के मकान दो फीट से लेकर छः इंच तक की गहराई में धंस गये हैं. दरअसल, पानापुर पंचायत का राजस्व जिला लखीसराय में है, जबकि जिला शेखपुरा में है. इस कारण पीड़ित परिवारों की सुध लेने वाला कोइ नहीं है. पीड़ित परिवारों ने बताया कि गांव जमीन की सतह से करीब 20 फीट ऊंचाई पर बसा है. इसका मुख्य कारण बारिश के मौसम में हरोहर और टाटी नदियों में उफान से पूरा टाल क्षेत्र डूब जाता है. इस बार अधिक बारिश के कारण नदियों में बाढ़ बनी हुई थी. साथ ही, लंबे समय तक टाल क्षेत्र इस बाढ़ के पानी में डूबा रहा. इसके बाद अब नदियों के जलस्तर में कमी आने के बाद इसका असर आबादी पर दिखने लगा है.
क्या कहते हैं अधिकारी
जमीन धंसने से टाल क्षेत्र में मची ताबही का जायजा लेने के लिए प्रखंड प्रमुख अवधेश कुमार सिंह और प्रखंड विकास पदाधिकारी राम बहादुर प्रसाद ने क्षेत्र का दौरा किया. प्रखंड प्रमुख अवधेश कुमार सिंह के अनुसार, टाल क्षेत्र की स्थिति काफी दयनीय है. प्रभावित परिवार को सरकारी मदद की काफी जरूरत है. इसके साथ ही, इस समस्या के स्थायी समाधान का भी प्रयास करना होगा. वहीं, प्रखंड विकास पदाधिकारी रामबहादुर प्रसाद ने बताया कि इस क्षेत्र में जमीन धंसने के कारण हो रहे मकानों के नुकसान और इससे प्रभावित परिवारों की वस्तुस्थिति की जानकारी जिलाकारी और डीडीसी को दे दी गयी है. जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जायेगा.

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