शेखपुरा/बरबीघा : सोमवारी अमावस्या एवं वट सावित्री व्रत को लेकर दूर-दूर से महिलाओं ने बरगद के पेड़ एवं पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं सात फेरे लगा कर अपने पति के लिए लंबी आयु की कामना की. इस अवसर पर नारियल, पान, फूल, पंखा चढ़ाकर सात फेरे भी लगाये. बरगद के पेड़ से गले मिलकर पति के जीवन के शांति के साथ लंबी आयु की कामना की.
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सुहागिनों ने पति की लंबी उम्र के लिए की वट वृक्ष की पूजा
शेखपुरा/बरबीघा : सोमवारी अमावस्या एवं वट सावित्री व्रत को लेकर दूर-दूर से महिलाओं ने बरगद के पेड़ एवं पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं सात फेरे लगा कर अपने पति के लिए लंबी आयु की कामना की. इस अवसर पर नारियल, पान, फूल, पंखा चढ़ाकर सात फेरे भी लगाये. बरगद के पेड़ से गले मिलकर […]
पुराणों में स्पष्ट किया गया है कि वट ने ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है. इसके नीचे बैठकर पूजन व्रत कथा आदि सुनने-सुनाने से मनोकामना पूर्ण होती है. वटवृक्ष अपनी विशालता के लिए भी प्रसिद्ध है. संभव है वन गमन ने ज्येष्ठ मास की तपती धूप से रक्षा के लिए वट के नीचे पूजा की जाती रही हो और बाद में यह धार्मिक परंपरा के रूप में विकसित हो गयी है. जिले के विभिन्न प्रखंडों के साथ शहरी इलाकों में बरगद के पेड़ के नीचे नये-नये परिधानों में महिलाओं की झुंड को पूजा अर्चना करते देखा गया.
अहले सुबह से महिलाओं को वट वृक्ष पूजा करते एवं वट वृक्ष में कच्चे धागे से फेरी देते देखा गया. इस तिथि को लेकर महिलाएं कुछ ज्यादा ही उत्साहित थी. बताया गया है कि यह संयोग 129 वर्ष बाद आया है. वट पूजा के बाद महिलाएं घर जाकर पति की भी पूजा की. वर्ती महिलाएं दिन भर भूमि पर शयन कर रात्रि में भजन कीर्तन के माध्यम से जागरण में भी लगी रही.
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