बिहारशरीफ : दारोगा की करतूत की जानकारी के बाद पूरा पुलिस महकमा सन्न रह गया. दारोगा जी अपने थाने में रखे पासपोर्ट व बहुमूल्य कागजों को फाड़कर सीधे नाले में बहा देते थे. जिस कांड के लिए इन्हें अधिकृत किया जाता था,उसके प्राथमिकी अभियुक्त की गिरफ्तारी व इनकी मरजी से ही होती थी.अगर कोई दूसरा पुलिस ऑफिसर इसमें हस्तक्षेप किया तो फिर उसकी खैर नहीं. दारोगा जी थानाध्यक्ष से भी उलझने में संकोच नहीं करते थे. मामला वेन थाने से संबंध रखता है.
वेन थाने में पदस्थापित सहायक दारोगा रामलखन सिंह यादव की इस दादागिरी की जानकारी जब पुलिस कप्तान को मिली तो वह भी हतप्रद रह गये. तत्काल इस मामले की जांच राजगीर एसडीपीओ संजय कुमार को दी गयी. जांच रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आया वह और चौंकाने वाला था. एसडीपीओ ने अपनी जांच रिपोर्ट के माध्यम से पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष को बताया कि वेन थाने में पदस्थापित सहायक अवर निरीक्षक थाना क्षेत्र के पब्लिक के बीच बेतुका बात कर पुलिस की गोपनीयता भंग करते हैं.
वेन थाना कांड संख्या 37\\17 के अनुसंधानकर्ता रहे श्री यादव द्वारा प्राथमिकी अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा था. जब वेन थानाध्यक्ष द्वारा इस कांड के प्राथमिकी अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया तो सहायक दारोगा रामलखन सिंह यादव के द्वारा कांड दैनिकी संख्या-03 के पारा 22 में स्वयं अंकित कर दिये .