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स्कूल के अंदर बांधे जाते हैं मवेशी

उदासीनता. पुरनहिया प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई का नहीं दिखता माहौल विद्यालय की बेतरतीब व्यवस्था खोल रही विभाग की पोल शिवहर : जिले के पुरनहिया प्रखंड स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय पकड़ी चरवाहा विद्यालय बन कर रह गया है. विद्यालय में ग्रामीणों की भैंस बंधी रहती है. जिसके कारण यह प्राथमिक विद्यालय चरवाहा विद्यालय बनकर […]

उदासीनता. पुरनहिया प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई का नहीं दिखता माहौल

विद्यालय की बेतरतीब व्यवस्था खोल रही विभाग की पोल
शिवहर : जिले के पुरनहिया प्रखंड स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय पकड़ी चरवाहा विद्यालय बन कर रह गया है. विद्यालय में ग्रामीणों की भैंस बंधी रहती है. जिसके कारण यह प्राथमिक विद्यालय चरवाहा विद्यालय बनकर रह गया है.
बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने के लिए स्थापित यह विद्यालय पाठशाला की जगह चरवाहा का आरामगाह बना हुआ है. शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए निरीक्षण करने वाले पदाधिकारी की नजर कभी इस विद्यालय पर नहीं जाती है. ऐसे में कैसे संवरेगा नौनिहालों का भविष्य यह सवाल बना हुआ है.
शुक्रवार को प्रभात खबर की टीम ने जब 11:25 मिनट पर इस विद्यालय में पहुंची, तो जो नजारा सामने आया वह चौंकाने वाला रहा. विद्यालय में प्रवेश करते ही टीम ने देखा कि निर्माणाधीन विद्यालय भवन के दो मंजिल की खिड़की पर बच्चे बैठे थे. जो कभी भी दुर्घटनाग्रस्त हो सकते हैं. बच्चे लावारिस की तरह इधर उधर भटक रहे थे.
विद्यालय निर्माणाधीन कमरे में भैंस बंधा नजर आया. भैंस का चरवाहा आराम से बैंच पर सोया देखा गया. पूछताछ में पता चला कि शिक्षिका दो मंजिल भवन के एक कमरे में बच्चों को पढ़ा रही है. शिक्षिका प्रभावती देवी को कर्तव्य का निर्वहन निष्ठा के साथ करते देखा गया. प्रभारी प्राचार्य विद्यालय से गायब मिले. ग्रामीणों ने बताया कि प्रभारी प्राचार्य कभी कभी विद्यालय में दर्शन देते है. भवन निर्माण व अन्य काम के बहाने विद्यालय से गायब रहते है. शिक्षिका ने पूछे जाने पर कहा कि इस विद्यालय में करीब 313 बच्चे नामांकित हैं. उपस्थिति पंजी पर 150 बच्चों की हाजिरी दर्ज थी.
किंतु गिनती में करीब 50 छात्र विद्यालय में पाये गये. मौके पर मौजूद अध्यक्ष नगीना देवी के पति प्रमोद ठाकुर ने विद्यालय की बेतरतीब व्यवस्था को स्वीकार किया. विद्यालय में मध्याहृन भोजन बंद था. किंतु टीम को देखते ही रसोइया ने चूल्हे में मिट्टी तेल रखकर मध्याह्न भोजन बनाने का उपक्रम शुरू किया. इस बाबत पूछ जाने पर प्रभारी प्राचार्य अरविंद सिंह ने कहा कि यह विद्यालय एक शिक्षकीय विद्यालय है. वे मूल रूप से काशोपुर प्राथमिक विद्यालय में पदस्थापित हैं. प्राथमिक विद्यालय पकड़ी के अतिरिक्त प्रभार में है. कहा कि ग्रामीण के आतंक व आदम काल की सामाजिक व्यवस्था के कारण कोई भी शिक्षक वहां जाने को तैयार नहीं रहता है. विद्यालय में चहारदीवारी के अभाव से भी विधि व्यवस्था में कठिनाई है. इसी कारण लोग भैंस भी बांध देते है. विभाग को चहारदीवारी निर्माण कराने के लिए लिखा गया है.
निर्माणाधीन कमरे में भैंस बांधकर सो रहे स्थानीय लोग

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