आस्था. दूसरी सेमवारी को शिव भक्तों ने देकुली व भुवेनश्वर नाथ मंदिर में चढ़ाया जल
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हर-रह महादेव के जयघोष से गूंजा मंदिर
आस्था. दूसरी सेमवारी को शिव भक्तों ने देकुली व भुवेनश्वर नाथ मंदिर में चढ़ाया जल लोटा दिहलअ एक भोला,बेटा दिहलअ तीन पनिया पीअत के वेरिया होखे छीना छिन कइसे कटतई भोला गरिबन के दिन शिवहर : सावन के दूसरे सोमवार को जिले का कोना कोना हर हर महादेव के स्वर से गूंजित होता रहा. विभिन्न […]
लोटा दिहलअ एक भोला,बेटा दिहलअ तीन
पनिया पीअत के वेरिया होखे छीना छिन
कइसे कटतई भोला गरिबन के दिन
शिवहर : सावन के दूसरे सोमवार को जिले का कोना कोना हर हर महादेव के स्वर से गूंजित होता रहा. विभिन्न शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गयी. देकुली बाबा भूवनेश्वर नाथ मंदिर में भी आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा. सुबह से ही देकूली बाबा भूवनेश्वर नाथ मंदिर में जलाभिषेक करने वालों का तांता लग रहा.
पंडित कामेश्वर झा बताते हैं कि भारत में कुल 12 ज्योर्तिलिंग एवं 244 स्वयंभू लिंग का वर्णन शास्त्र में मिलता है. जिसमें शिवहर जिला मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित देकुली बाबा भूवनेश्वर नाथ मंदिर का नाम भी आता है. जिस पर जलाभिषेक से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. कहा कि सावन के दूसरे सोमवार को शिवपूजन के लिए दुर्लभ योग प्रदान करता है.
चर्तुदशी को त्रयोदशी स्पर्श करते हुए अमावास्या को भी स्पर्श कर रही है. इस प्रकार त्रिस्पृहा योग के कारण दूसरे सोमवार को शिवपूजन व जलाभिषेक अत्यंत फलदायी रहा है. कहा कि दो अगस्त को भौमवती अमावस्या भी अत्यंत फलदायी रहेगा. कहा सावन माह में शिवपूजन से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. पारद व पाषाण शिवलिंग पर जलाभिषेक से संतान प्राप्ति, पुत्र, पुत्री की शादी व मुकदमे में विजय होती है. जबकि स्थिर लक्ष्मी के लिये सोना के शिवलिंग, सुख राज्य हेतु रजत लिंग, संतान प्राप्ति हेतु रंगा लिंग, अल्प मृत्यु निवारण हेतु मोती लिंग की पूजा करनी चाहिए.
इधर जिले के हिरौता दुम्मा स्थित गौरी शंकर मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गयी. कहा जाता है कि यहां स्थापित शिवलिंग बौद्ध काल का है. जिसकी पूजा अर्चना से सारी समस्याओं का निदान होता है. एक ही शिवलिंग में गौरी व शिव दोनों की छवि है. जिसके कारण सुहागिन महिलाओं के लिए यह स्थान पूजा के लिए उत्तम है. जिले के गांव से शहर तक स्थापित विभिन्न शिव मंदिरों में भी लोग पूजा अर्चना करते देखे गये.
वहीं रंग बिरंगे परिधान में महिलाओं को भी पूजा अर्चना के लिए शिवमंदिर तक आते जाते देखा गया. गांवों में सोमवारी व्रती महिलाओं का शिव की भक्ति लोक गीत भी लोगों को मंत्र मुग्ध करता रहा है. अइसन बउ रहवा वर से गौरी न विआहवो मोर गौरी रहथिन कुवांर. कइसे कटतई भोला गरिबन के दिन, लोटा दिहलअ एक लेकिन बेटा दिहलअ तीन पनिया पियत के वेरिया होखे छीना छिन आदि गीतों से लोग मंत्र मुग्ध हो भक्ति रस में सराबोर होते नजर आये.
इधर करीब 21 फीट के कांवर के साथ कावंरियों को शिव मंदिर देकुली के जलाभिषेक करने के लिये जाते देखा गया. वही दंड देते कई शिवभक्त देकुली पहुंचकर जलाभिषेक किये.
बाबा के भक्तों से पटा देकुली मंदिर परिसर भुवनेश्वर नाथ मंदिर में लगा रहा लोगों का तांता
21 फीट के कांवर के साथ जलाभिषेक करने पहुंचे देकुली मंदिर परिसर में कांवरिया एवं दंड देते देकुली भुनेश्वार नाथ मंदिर की ओर जाते श्रद्धालु .फोटोÀ प्रभात खबर
लोटा दिहलअ एक भोला,बेटा दिहलअ तीन
पनिया पीअत के वेरिया होखे छीना छिन
कइसे कटतई भोला गरिबन के दिन
शिवहर : सावन के दूसरे सोमवार को जिले का कोना कोना हर हर महादेव के स्वर से गूंजित होता रहा. विभिन्न शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गयी. देकुली बाबा भूवनेश्वर नाथ मंदिर में भी आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा. सुबह से ही देकूली बाबा भूवनेश्वर नाथ मंदिर में जलाभिषेक करने वालों का तांता लग रहा.
पंडित कामेश्वर झा बताते हैं कि भारत में कुल 12 ज्योर्तिलिंग एवं 244 स्वयंभू लिंग का वर्णन शास्त्र में मिलता है. जिसमें शिवहर जिला मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित देकुली बाबा भूवनेश्वर नाथ मंदिर का नाम भी आता है. जिस पर जलाभिषेक से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. कहा कि सावन के दूसरे सोमवार को शिवपूजन के लिए दुर्लभ योग प्रदान करता है.
चर्तुदशी को त्रयोदशी स्पर्श करते हुए अमावास्या को भी स्पर्श कर रही है. इस प्रकार त्रिस्पृहा योग के कारण दूसरे सोमवार को शिवपूजन व जलाभिषेक अत्यंत फलदायी रहा है. कहा कि दो अगस्त को भौमवती अमावस्या भी अत्यंत फलदायी रहेगा. कहा सावन माह में शिवपूजन से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. पारद व पाषाण शिवलिंग पर जलाभिषेक से संतान प्राप्ति, पुत्र, पुत्री की शादी व मुकदमे में विजय होती है. जबकि स्थिर लक्ष्मी के लिये सोना के शिवलिंग, सुख राज्य हेतु रजत लिंग, संतान प्राप्ति हेतु रंगा लिंग, अल्प मृत्यु निवारण हेतु मोती लिंग की पूजा करनी चाहिए.
इधर जिले के हिरौता दुम्मा स्थित गौरी शंकर मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गयी. कहा जाता है कि यहां स्थापित शिवलिंग बौद्ध काल का है. जिसकी पूजा अर्चना से सारी समस्याओं का निदान होता है. एक ही शिवलिंग में गौरी व शिव दोनों की छवि है. जिसके कारण सुहागिन महिलाओं के लिए यह स्थान पूजा के लिए उत्तम है. जिले के गांव से शहर तक स्थापित विभिन्न शिव मंदिरों में भी लोग पूजा अर्चना करते देखे गये.
वहीं रंग बिरंगे परिधान में महिलाओं को भी पूजा अर्चना के लिए शिवमंदिर तक आते जाते देखा गया. गांवों में सोमवारी व्रती महिलाओं का शिव की भक्ति लोक गीत भी लोगों को मंत्र मुग्ध करता रहा है. अइसन बउ रहवा वर से गौरी न विआहवो मोर गौरी रहथिन कुवांर. कइसे कटतई भोला गरिबन के दिन, लोटा दिहलअ एक लेकिन बेटा दिहलअ तीन पनिया पियत के वेरिया होखे छीना छिन आदि गीतों से लोग मंत्र मुग्ध हो भक्ति रस में सराबोर होते नजर आये.
इधर करीब 21 फीट के कांवर के साथ कावंरियों को शिव मंदिर देकुली के जलाभिषेक करने के लिये जाते देखा गया. वही दंड देते कई शिवभक्त देकुली पहुंचकर जलाभिषेक किये.
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