परेशानी . अधिवक्ताओं के अंदर पनप रहा आक्रोश, दर्द सुननेवाला भी नहीं
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वकालतखाना में पार्किंग, साफ-सफाई नहीं
परेशानी . अधिवक्ताओं के अंदर पनप रहा आक्रोश, दर्द सुननेवाला भी नहीं शौचालय इतना बदबूदार है कि जाने में घुटता है दम शिवहर : किसे सुनाये कौन सुनेगा मेरी दर्द कहानी कुछ इसी तरह की उलझन में वकील अपनी समस्याओं को अपने तक केंद्रित करके रखे हुए हैं. प्रभात खबर की टीम जब वकालत खाना […]
शौचालय इतना बदबूदार है कि जाने में घुटता है दम
शिवहर : किसे सुनाये कौन सुनेगा मेरी दर्द कहानी कुछ इसी तरह की उलझन में वकील अपनी समस्याओं को अपने तक केंद्रित करके रखे हुए हैं. प्रभात खबर की टीम जब वकालत खाना में पहुंची. तो इनके अंदर पनप रही व्यवस्था के प्रति आक्रोश जैसे फूट पड़ा. अधिवक्ता अपनी पीड़ा को अभिव्यक्त करने लगे. वकीलों का दर्द सुनकर लगा कि इंसाफ की लड़ाई में अपनी ऊर्जा को समर्पित कर चुके वकीलों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है.
शौचालय निर्माण पर मिशन के रूप में काम करने वाली प्रशासन व विभाग इनके लिए अभी तक एक शौचालय निर्माण नहीं कर सकी है. व्यवहार न्यायालय शिवहर में संचालित होने के करीब चार वर्षो के बाद भी वकीलों के लिए डिब्बा में जल भरकर खुले में शौच करने की लाचारी है. व्यवहार न्यायालय में बना सार्वजनिक शौचालय इतना गंदा व बदबूदार है कि उसमें प्रवेश करते ही दम घुटने लगता है. काफी मशक्कत के बाद जिला प्रशासन की नींद खुली है.
वॉटर फॉर पीपल संस्था के द्वारा वकालत खाना में शौचालय निर्माण का कार्य कराया जा रहा है. जिससे उनकी शौच संबंधी समस्या का समाधान भविष्य में हो जाने की संभावना दिखाई देने लगी है. वकालत खाना में शुद्ध पेयजल समेत अन्य कई मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं. किंतु कोई भी सरकारी मुलाजिम इनकी समस्या से दो चार नहीं होना चाहता है. ऐसे में वकील समस्या के मकड़जाल में फंसे कराह रहे हैं. इस संबंध में कुछ वकीलों ने अपनी समस्या व पीड़ा से प्रभात खबर की टीम को अवगत कराया है.
वकालतखाना में एक सेक्सन फोर्स की हो तैनाती: अधिवक्ता पवन कुमार मिश्रा का कहना है कि वकालत खाना में चहारदीवारी का अभाव है. जिससे वकीलों द्वारा वकालत खाना में रखे गये सामग्री व कागजात के सुरक्षा की समस्या बनी रहती है. कहा कि वकालत खाना में अपराधियों व मुजरिमों का भी आना जान भी लगा रहता है.
कभी कभी लफड़ा भी फंसता है. ऐसे में वकीलों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जानी चाहिए. वकालत खाना में एक सेक्सन फोर्स की तैनाती की जानी चाहिए. जिससे वकील निर्भिक होकर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सके.बरसात में वकालत खाना में जल जमाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है. जिसके निकाली की व्यवस्था जिला प्रशासन व नगर पंचायत के द्वारा सुनिश्चित की जानी चाहिए.
न्यायिक कार्यो की देखरेख को प्रबंधन समिति हो गठित: अधिवक्ता दिलीप कुमार मिश्र का कहना है कि न्यायिक कार्य की देखरेख के प्रबंधन समिति का गठन किया जाना जरूरी है. कहा कि व्यवहार न्यायालय परिसर में कई कमरे खाली हैं. किंतु पैरवी के लिए कोर्ट परिसर में गये वकील के बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. एक शौचालय भी वकील के नाम नहीं है. कहा कि पुरानी लंबित कानूनी व्यवस्था का भी खामियाजा वकील को ही भुगतना पड़ता है.
अधिवक्ता नागेंद्र शरण, अजित कुमार झा, रामसेवक राम, राजीव कुमार पांडेय, नवीन कुमार पांडेय, रंजीत तिवारी, जितेंद्र कुंवर का कहना है कि वकालत खाना में रात में भी रोशनी की व्यवस्था की जानी चाहिए. वहीं पूरा परिसर सोलिंग होना चाहिए. ताकि बरसात की कठिनाई से निजात मिल सके. गाड़ी पार्किंग व साफ सफाई की व्यवस्था होनी चाहिए.
कर्मी रहने के बाद भी व्यवहार न्यायालय में घास फूस उपज जाता है. गंदगी की समस्या रहती है. जिसका निदान जरूरी है.
चार वर्षों से वकीलों को खुले में शौच करने की है लाचारी
सुविधाओं से लैस हो वकालतखाना: जिला वार एसोसिएशन के सचिव शिशिर कुमार का कहना है कि केवल शौचालय का अभाव ही वकीलों की समस्या नहीं है. बल्कि शुद्ध पेयजल भी वकीलों को नसीब नहीं हो पाता है. वकालत खाना परिसर में दो चापाकल है. एक चापाकल वकीलों ने स्वयं चंदा इकट्ठा कर खरीदा है. जिसमें प्लास्टिक का पाइप है. उससे दूषित बदबूदार पानी निकलता है.जिसका एक घूंट पानी गले के अंदर नहीं जा पाता है. दूसरा चापाकल सांसद मद से लगाया गया है. उसका जल भी ग्रहण योग्य नहीं है. कहा कि पुस्तकालय, कैंटिन व चहारदीवारी की भी समस्या बनी हुई है. इस बाबत प्रशासन का ध्यान भी आकृष्ट कराना गया. किंतु प्रशासनिक अनदेखी आज भी बरकरार है. उन्हें वकालत खाना को हाई फाई की सुविधा से जोड़ने की भी मांग की है.
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