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नये चेहरों पर ग्रामीणों ने जताया भरोसा

पंचायत चुनाव. अधिकांश निवर्तमान मुखियाओं को जिले की जनता ने नकारा जनता के मूड का कोई ठीक नहीं रहता है. कब किसे कुरसी पर बैठा दे और कब हटा दे, यह बात सिर्फ जनता ही जानती है. बहुत से लोग इस बात को भूल जाते हैं. जो लोग इस बात को भूलते हैं, उन्हें जनता […]

पंचायत चुनाव. अधिकांश निवर्तमान मुखियाओं को जिले की जनता ने नकारा

जनता के मूड का कोई ठीक नहीं रहता है. कब किसे कुरसी पर बैठा दे और कब हटा दे, यह बात सिर्फ जनता ही जानती है. बहुत से लोग इस बात को भूल जाते हैं. जो लोग इस बात को भूलते हैं, उन्हें जनता चुनाव के समय भूल जाती है. पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में निवर्तमान जनप्रतिनिधियों के हार जाने से कुछ ऐसा ही लग रहा है. प्रभात खबर में मंगलवार को तीन प्रखंडों के निवर्तमान मुखियाओं के चुनाव परिणाम का जायजा लिया.
बोखड़ा : प्रखंड में इस बार का चुनाव परिणाम चौंकाने वाला रहा है. खास कर मुखिया पद का परिणाम. नये सिरे से सीटों का आरक्षण होने से बोखड़ा, चकौती, खड़का उत्तरी, भाउर, महिसौथा व बुधनगरा के निवर्तमान मुखिया क्रमश: रूखशाना खातून, उपेंद्र पासवान, जयकांत यादव, सिंधु देवी, पिंकी कुमारी देवी व अखलाक अहमद चुनाव नहीं लड़े. वहीं, कुरहर, खड़का दक्षिणी, बनौल व पोखरैरा के निवर्तमान मुखिया क्रमश: सुनीता देवी, वासुकीनाथ झा, गीता देवी व फरहाना अंजुम आदि चुनाव तो लड़े, पर जनता ने उन्हें नकार दिया. यानी चारों निवर्तमान मुखियाओं को हार का सामना करना पड़ा.
रिश्तेदार भी नहीं जीते : महिसौथा की भी वर्तमान मुखिया पिंकी कुमारी देवी ने इस बार अपनी सास को चुनाव मैंदान में उतारा था जो चुनाव हार गयी. इसी तरह बुधनगरा के अखलाक अहमद ने अपनी पत्नी फिरोजी खातून को चुनावी समर में उतारा था.
उन्हें भी मात खानी पड़ी. यानी निवर्तमान मुखियाओं के सगे-संबंधियों को भी जनता ने भाव नहीं दिया. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चकौती के निवर्तमान मुखिया उपेंद्र पासवान अपने पुत्रवधु को पंसस पद के लिए चुनाव तो लड़ाया, पर जीता नहीं सके. इसी तरह सिंघाचौरी की निवर्तमान मुखिया नुजहत प्रवीण मुखिया पद के लिए अपने पति शकील अहमद को मैदान में उतारा. संयोगवश श्री अहमद भी हार गये. खड़का उत्तरी के निवर्तमान मुखिया जयकांत यादव ने अपने एक खासमखास प्रत्याशी को समर्थन दिया था, पर सफलता नहीं मिली. बोखड़ा की निवर्तमान मुखिया रूखशाना खातून पंसस पद के लिए भाग्य आजमायी थी. कोई लाभ नहीं मिला. सबसे अधिक 510 वोट से मुखिया पद पर खड़का वसंत दक्षिणी से मदनमोहन झा जीते तो सबसे कम मात्र दो वोट से बनौल मुखिया ने बाजी मारी.
दूसरे पद पर भी मिली मात : चोरौत : प्रखंड में इस बार कई निवर्तमान मुखिया दूसरे पद के लिए चुनाव लड़े. कई ने अपने सगे संबंधियों को चुनाव मैदान में उतारा था, जिसमें अधिकांश को हार का सामना करना पड़ा. यदुपट्टी के निवर्तमान मुखिया विंदा कापड़ अपनी पत्नी मोती देवी को चुनाव मैदान में उतारे थे. 401 वोट पा कर वह पांचवें स्थान पर रही. परिगामा के निवर्तमान मुखिया रामकिशोर राय 660 मतों से हार गये. भंटावाड़ी मुखिया का पद आरक्षित होने के कारण निवर्तमान मुखिया रानी देवी चुनाव नहीं लड़ी. उनके पति पंसस क्षेत्र संख्या चार से लड़े और 17 मतों से हार गये. चोरौत पश्चिमी की निवर्तमान मुखिया संजु देवी भी मुखिया पद के बजाय पंसस क्षेत्र संख्या सात से भाग्य आजमायी, पर भाग्य साथ नहीं दिया.
चोरौत उत्तरी के निवर्तमान मुखिया चुनाव नहीं लड़े. मुखिया पद महिला के लिए आरक्षित था. अपने किसी सगे-संबंधी को भी चुनाव नहीं लड़ाया. पूर्व मुखिया मुकेश सिंह अपनी पत्नी नीलू सिंह चुनाव मैदान में उतारे थे जो एक मत से हार गयी. चोरौत पूर्वी के निवर्तमान मुखिया विशुनदेव राम पंसस क्षेत्र संख्या आठ से चुनाव लड़े और 599 मत प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहे. बर्री-बेहटा के निवर्तमान मुखिया कुंदन कुमार 263 मतों से हार गये.
नये चेहरे को मिला मौका : इस बार अधिकांश नये चेहरे को मुखिया बनने का मौका मिला है. यदुपट्टी से रंजू देवी मुखिया बनी है. परिगामा से पूर्व मुखिया संजय कुमार जीते. भंटावाड़ी से प्रकाश दास, चकौती पश्चिमी से योगेंद्र साह, चोरौत उत्तरी से सीमा देवी, चोरौत पूर्वी से रामप्रवेश चौधरी व बर्री-बेहटा से सुनील यावद जीते. निवर्तमान मुखिया कुंदन कुमार ने चुनाव परिणाम के लिए नवनिर्वाचित मुखिया व जनता को बधाई दी है.
सहोदर भाई को ही हराया
खास बात यह कि चोरौत पूर्वी में मुखिया पद के लिए रामप्रवेश चौधरी व रामनरेश चौधरी आमने-सामने थे. दोनों सहोदर भाई है. 970 मत प्राप्त कर रामप्रवेश चौधरी जीत गये. निवर्तमान पंसस ज्योति चौधरी के पति रामनरेश चौधरी पूर्व मुखिया रह चुके हैं. उन्हें 473 मत मिले. सबसे अधिक 660 मत से संजय कुमार व सबसे कम एक मत से सीमा देवी निर्वाचित हुई.
महिला मुखियाओं की संख्या बढ़ी : बेलसंड : अबकी बार के पंचायत चुनाव में महिला मुखियाओं की संख्या बढ़ कर तीन से पांच हो गयी है. कल तक रूपौली, कंसार व जाफरपुर पंचायत में ही महिला मुखिया थी. रूपौली की निवर्तमान मुखिया कलावती देवी चुनाव नहीं लड़ी. वहां से ललिता देवी जीती.
पताहीं से पैक्स अध्यक्ष शंभु साह मुखिया पद पर जीते. निवर्तमान मुखिया जयलाल पासवान चुनाव नहीं लड़े थे. जाफरपुर की निवर्तमान मुखिया आशा देवी तीसरे स्थान पर रही तो खुशबू सिंह बाजी मार ली. कंसार से निवर्तमान मुखिया आशा देवी चुनाव नहीं लड़ी थी. वहां से जितेंद्र झा जीते. लोहासी से जदयू नेता परमानंद सिंह की पत्नी रंजना कुमारी जीती. निवर्तमान मुखिया जगन्नाथ राय ने पति सागर देवी को चुनाव मैदान में उतारा था. वह तीसरे स्थान पर रही. पचनौर के पूर्व मुखिया लालबाबू राय की पत्नी रामसहेली देवी जीती. रामसहेली देवी पूर्व में प्रमुख रह चुकी है. निवर्तमान मुखिया मो मुस्ताक ने अपनी मां जैनब खातून को चुनाव में खड़ा किया था.
फिर कुरसी पर कब्जा : चंदौली पंचायत से मनीष कुमार सिंह मुखिया बने हैं. 1962 से 2006 तक लगातार उनके पिता रामेश्वर प्रसाद मुखिया की कुरसी संभाले. बीच में दूसरा व्यक्ति मुखिया बना तो बाद में मनीष सिंह की पत्नी नीतू सिंह मुखिया बनी. भंडारी से उमा देवी मुखिया बनी है. निवर्तमान मुखिया सह जदयू के प्रखंड अध्यक्ष रामप्रवेश भगत की पत्नी वोट के मामले में सातवें स्थान पर रही. डुमरा पंचायत से अरूण सहनी जीते. अधिकांश नये चेहरे को मौका मिला है. सबसे अधिक 957 वोट से मनीष सिंह जीते हैं.

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