पुपरी : शनिवार को चैत्र नवरात्र का शुभारंभ हो गया. पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा हुई. पंडित रामकृष्ण झा, शक्तिनाथ पाठक व रत्नेश्वर पाठक के अनुसार सुबह सूर्योदय से 8:15 तक परिवा होने के कारण अति शुभ व उसके बाद पूरे दिन घट स्थापना का शुभ मुहूर्त था.
सर्वप्रथम कलश गणेश की पूजा अर्चना की गयी. उसके बाद नवग्रह, षोड्स मात्रिका, महालक्ष्मी, महासरस्वती, महाकाली व महादुर्गा की पूजा-अर्चना की गयी. नवरात्र के दूसरे दिन शुक्रवार को मां के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाएंगी. बताया कि इस बार मां भगवती दुर्गा अश्व पर सवार होकर आ रही हैं. आठ दिनों का पूजा है.
घट स्थापित करने का तात्विक विचार से पृथ्वी तत्व के आधिपत्य शिव है. वहीं, जल तत्व के आधिष्ठदाता गणेश है, इसलिए शुद्ध जल से परिपूर्ण कलश पर दीप ज्योति प्रज्वलित की जाती है. अग्नि तत्व की अधिष्ठात्री मां भगवती है. लिहाजा कलश स्थापना के साथ ही दुर्गा जी अपने पुत्र गणपति व पति शिव समेत विराजमान हो जाते हैं. तात्विक दृष्टि से कलश के उपर प्रज्वलित दीप ज्योति जगदंबा की प्रतीक ही नहीं, प्रतिनिधि भी हैं, इसलिए नवरात्र में अखंड ज्योति जलायी जाती है. ताकि संपूर्ण नवरात्र भर देवी मां घर में विराजमान रहें.