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Sasaram News : दुनिया का सबसे बड़ा दायित्व है गुरुतर भार को निष्ठा पूर्वक निभाना

दुनिया का सबसे बड़ा दायित्व गुरुतर भार को निष्ठा पूर्वक निभाना है. क्योंकि, एक अच्छा गुरु राष्ट्र निर्माण कर्ता होता है.

सासाराम कार्यालय. दुनिया का सबसे बड़ा दायित्व गुरुतर भार को निष्ठा पूर्वक निभाना है. क्योंकि, एक अच्छा गुरु राष्ट्र निर्माण कर्ता होता है. उसके हाथ में समाज और देश का भविष्य होता है. इस दायित्व को निभाना बड़ा पुण्य का कार्य होता है. यह बातें पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली एस राधाकृष्णन की जयंती शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर शहर के महाविद्यालयों व विद्यालयों के साथ शिक्षण कार्य में लगी संस्थाओं के प्रमुखों ने प्रभात खबर से कहीं. सभी का एक ही मत है कि शिक्षक चाहे, तो अपने छात्र को वह जो चाहता है, उसे बना सकता है. इसके लिए जरूरी है कि अभिभावक अपने पुत्र-पुत्री को शिक्षकों का सम्मान करते हुए उनके गुण सीखे और फिर अपने साथ देश के भविष्य के लिए कार्य करें. —कर्तव्यों के प्रति सजग रहकर छात्र-छात्राओं को दें उचित मार्गदर्शन –मैं अपने शिक्षक बंधुओं को संदेश देना चाहता हूं कि वे अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहते हुए छात्र-छात्राओं को उचित मार्गदर्शन करें. एक सुशिक्षित राष्ट्र के निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाएं, ताकि समय उन्हें याद रखे.-प्रो डॉ नवीन कुमार, प्राचार्य, शांति प्रसाद जैन कॉलेज, सासाराम — शिक्षक अध्यापन के लिए सदैव अध्ययनरत रहें. राष्ट्र के प्रति कर्तव्य निभाने के लिए छात्र-छात्राओं को जागृत करते रहें. समाज का दायित्व है कि शिक्षकों के प्रति आदर भाव रखें. अभिभावकों का आदर छात्रों में संस्कार डालता है. – डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य, रोहतास महिला महाविद्यालय सासाराम –मैं अपने शिक्षकों को संदेश देना चाहता हूं कि वे अपने कर्तव्यों की निष्ठापूर्वक निर्वहन करते हुए छात्रों को उचित मार्गदर्शन प्रदान करें. जिससे उनका चरित्र बल उत्तम हो. कोई भी राष्ट्र चरित्र बल के आधार पर ही महान होता है.-विनोद शंकर पांडेय, प्रधानाचार्य, संत शिवानंद तीर्थ महाविद्यालय सासाराम — यह दिन हमें याद दिलाता है कि जिस गुरु ने हमारी अज्ञानता को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश दिखाया है, उस गुरु का सदैव सम्मान करें. उनके मार्गदर्शन को जीवन भर याद रखें. उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतर कर समाज में सकारात्मक योगदान दें.-डॉ विनोद कुमार सिंह, प्राचार्य, अवधूत भगवान राम महाविद्यालय, सासाराम — पूर्ण विश्वास के साथ अपने शिक्षण कार्य को करते हुए पूरे छात्र-छात्राओं को एक आदर्श मानव बनाने का संकल्प लेना चाहिए. हम ज्ञान का दीप बच्चों तक पहुंचाने का कार्य करें. ताकि भविष्य में छात्र एक कुशल मानव बनकर देश और समाज की सेवा सुनिश्चित करें.- उमेश कुमार सिंह, प्रधानाध्यापक, प्लस टू उच्च विद्यालय चौखंडी पथ रौजा रोड, सासाराम -अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहते हुए छात्र-छात्राओं को उचित मार्गदर्शन करना चाहिए. हर शिक्षक का कर्तव्य है कि वह एक सुशिक्षित राष्ट्र के निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाएं. दीप की तरह जलकर शिक्षक अपने विद्यार्थियों को प्रज्वलित करें.- अजय कुमार सिंह, प्रधानाध्यापक, श्री शंकर उच्च माध्यमिक 2 विद्यालय तकिया, सासाराम — अपने कार्य के प्रति सच्ची निष्ठा से छात्रों को उचित मार्गदर्शन करें. साथ ही छात्रों को उनके उज्जवल भविष्य के लिए तैयार करें. एक आदर्श शिक्षक अपने राष्ट्र के निर्माण के लिए छात्रों को तैयार करने की जिम्मेवारी निभाता है.-कमलेश कुमार, प्रधानाध्यापक, शेरशाह सूरी उच्च माध्यमिक विद्यालय, सासाराम -शिक्षकों के कंधों पर सबसे बड़ा भार होता है. गुरुतर भार निभाना सबके बस की बात नहीं. एक गुरु अपनी सोच व चाह के अनुसार अपने शिष्य को बना सकता है. शर्त यह रहता है कि शिष्य कितने समर्पण से कार्य करता है. दोनों को सजग रह कार्य करना चाहिए.- शैलेंद्र लाल, एडुप्रेन्योर करियर काउंसलर, सासाराम

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