बिक्रमगंज. थाना क्षेत्र के धारूपुर गांव में बीते 18 जून को भंडारित अवैध बालू को लेकर प्रशासन ने नया रूख अख्तियार किया है. खान निरीक्षक ने बालू चोरों की जानकारी नहीं मिलने पर जिस जमीन पर बालू भंडारित है, उस जमीन के रैयतों को ही नामजद अभियुक्त बना दिया है. इसमें सबसे बड़ा नाम बिक्रमगंज नगर पर्षद के सभापति मनोरंजन सिंह का शामिल हैं. इनके अलावा उदय प्रताप सिंह, राजबल्लभ सिंह, बिंदेश्वरी सिंह, रश्मि सिंह, विजय बहादुर सिंह, राजीव रंजन सिंह, सुनील पांडेय, शंकर दयाल सिंह, इंदु कुंवर, संजीव कुमार, चंद्रशेखर तिवारी, जगन तिवारी, राजेश्वर तिवारी और उदय प्रताप सिंह को अवैध बालू भंडारित करने को लेकर आरोपित किया गया है. इस संबंध में थानाध्यक्ष ललन कुमार ने बताया कि 20 जून को ही खान निरीक्षक आवेदन पर अज्ञात के विरुद्ध कांड संख्या 418/25 दर्ज कर लिया गया था. दूसरे दिन 21 जून को खान निरीक्षक ने प्राथमिकी में करीब 15 लोगों को नामजद करने का आवेदन दिया है. आगे की कार्रवाई की जा रही है. एडीएम ने 18 जून को देखा था अवैध बालू भंडार गत 18 जून को बिक्रमगंज एसडीएम ने धारूपुर मौजा में बड़ी मात्रा में बालू भंडारण को देखा था. इसका जिक्र खान निरीक्षक अमित राज ने दर्ज प्राथमिकी में की है. उन्होंने कहा है कि एडीएम के निर्देश पर 18 जून की रात 11.40 बजे धारूपुर में दो जगहों पर भंडारित बालू का निरीक्षण किया. लोगों से पूछताछ की, तो बिना जमीन मालिक की सूचना के बालू भंडारण का होना पता चला. इसके बाद बिक्रमगंज के अरविंद कुमार पटेल और धारूपुर गांव के सुधांशु रंजन को जिम्मेनामा पर बालू देते हुए 20 जून को बिक्रमगंज थाने में अज्ञात के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी. फिर, 21 जून को सीओ के रिपोर्ट के आधार पर एक और आवेदन देकर दिया, जिसमें 15 रैयतों जिनकी जमीन पर बालू भंडारित है को नामजद करने का आग्रह थानाध्यक्ष से किया है. जब्त बालू की कीमत लगभग 26 लाख अपनी रिपोर्ट में खान निरीक्षक ने बताया है कि धारूपुर में दो जगहों पर 55,760 घन फुट बालू भंडारित है. हालांकि, इसकी कीमत उन्होंने प्राथमिकी के आवेदन में नहीं खोला है. जानकारों की मानें, तो अवैध भंडारित बालू की बाजार कीमत करीब 26 लाख रुपये होगी. इधर एसडीएम प्रभात कुमार ने कहा कि कोई भी दोषी बचेगा नहीं. नामजद प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए. कहते हैं सभापति नगर पर्षद बिक्रमगंज के सभापति मनोरंजन सिंह ने कहा कि हमारी जमीन परती है. कब और कौन उस पर बालू रख गया, हमें पता नहीं चला. परती जमीन की, तो हम लगातार रखवाली नहीं करते. हमारे गांव में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो यहां रहते नहीं है. उनकी परती जमीन पर कौन बालू रखा है, इसकी खोज बिन प्रशासन को करनी चाहिए. उल्टे प्रशासन हमलोगों को परेशान करने की नीति पर चल रहा है. जो, सही नहीं है.
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