बिक्रमगंज. फसल अवशेष प्रबंधन में किये गये नवाचारी कार्यों के लिए कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) बिक्रमगंज, रोहतास को राष्ट्रीय नवाचार पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान सात अगस्त 2025 को नयी दिल्ली में आयोजित द्वितीय टिकाऊ कृषि सम्मेलन व अवार्ड समारोह में केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने केवीके के वरिष्ठ वैज्ञानिक व प्रमुख डॉ रविंद्र कुमार जलज को प्रदान किया. बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति डॉ डीआर सिंह के मार्गदर्शन में केवीके बिक्रमगंज ने जिले में पराली जलाने की समस्या के समाधान हेतु तकनीकी उपाय विकसित किये. धान कटाई के बाद उत्पन्न पराली को स्क्वायर और राउंड बेलिंग मशीन से बेल में बदलकर सुधा डेयरी, पशुपालकों और बायो-एनर्जी कंपनियों को उपलब्ध कराया गया, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय मिली और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिला. यह कार्य बिहार सरकार के जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत 2021 से चल रहे प्रोजेक्ट के दौरान किया गया. परियोजना का संचालन निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ आरके सोहाने और सह निदेशक डॉ आरएन सिंह, बीएयू सबौर के निर्देशन में हुआ. इस पहल से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी, मृदा स्वास्थ्य में सुधार और पोषक तत्वों की पुनः प्राप्ति संभव हुई. पुरस्कार प्राप्ति पर डॉ जलज ने इसे बिहार कृषि विश्वविद्यालय, अटारी-भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पटना, केंद्र की टीम, सहभागी किसानों और सहयोगी संस्थाओं के संयुक्त प्रयासों का परिणाम बताया और आश्वासन दिया कि केंद्र भविष्य में भी किसानों के हित में नवाचारी तकनीकों के विकास और प्रसार के लिए प्रतिबद्ध रहेगा. उन्होंने बताया कि केंद्र की सरकार ने किसानों में जागरूकता लाने के लिए जनसंपर्क अभियान, मोबाइल एप और वीडियो प्रदर्शनियों का उपयोग किया. इस उपलब्धि में वैज्ञानिक डॉ रामाकांत सिंह और डॉ रतन कुमार का भी अहम योगदान रहा. ….पराली जलाने की समस्या में तकनीकी उपाय विकसित करने पर सम्मान
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

