सरकारी योजनाओं से वंचित किये जाने के बावजूद नहीं कर रहे परहेज
फोटो-…7-खेत में जल रहे डंठल.प्रतिनिधि, संझौली
हार्वेस्टर द्वारा काटी गयी गेहूं फसल के डंठल नहीं जलाने को लेकर कृषि वैज्ञानिक जिले से लेकर प्रखंड स्तर के कृषि अधिकारी व कर्मी कृषि चौपाल, कृषि मेले के माध्यम से जागरूक करते आ रहे हैं. कृषि वैज्ञानिक, कृषि विभाग के अधिकारी व कर्मी डंठल/पराली जलाने से मिट्टी व पर्यावरण को होने वाली नुकसान के संबंध में समय समय पर किसानों को जानकारी देते आ रहे हैं. इसका असर भी किसानों पर पड़ा और कई किसानों ने डंठल जलाना बंद कर दिया है, लेकिन कुछ किसान अब भी डंठल जलाने से परहेज नहीं करते हैं. शाम ढलते छुप कर डंठल में आग लगा दे रहे हैं. कुछ किसानों की यह सोच है कि हमारे खेत के डंठल से कोई पशु चारा नहीं बनाये. वे मेरे खेत के डंठल से पशुचारा बनकर अपने पशुओं को मुफ्त में खिलाते हैं. पशु चारा बनकर किसी दूसरे को बेचकर रुपये कमाते हैं. ऐसे ही ईर्ष्या से ग्रसित किसान डंठल जला रहे हैं. हालांकि, जिन किसानों पर डंठल जलाने का आरोप है, वैसे किसानों को सरकार से मिलने वाले सभी लाभ बंद कर दिये जाते हैं. जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, किसान पंजीकरण, अनुदानित बीज, दावा, उर्वरक इत्यादि.क्या कहते हैं किसान
शंभू सिंह, राम प्रवेश सिंह, सुदर्शन सिंह, ओम प्रकाश सिंह आदि किसानों का कहना है कि जो किसान डंठल जलते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. कुछ ही किसानों के डंठल जलाने के कारण कई अन्य किसानों के परिवार व पशुओं के सामने भोजन व चारे के लाले पड़ जाते हैं.क्या कहते है अधिकारी
प्रखंड कृषि नोडल पदाधिकारी अभिषेक कुमार कहते हैं कि डंठल जलाने के दौरान दर्जनों पेड़-पौधे जल जाते हैं. मिट्टी के साथ-साथ पर्यावरण को काफी दूषित होता है. लाखों रुपये की खेत में लगी गेहूं की फसल और लाखों रुपये का पशुचारा जल जाता है. जो किसान डंठल जलाते पकड़े जा रहे हैं, उनके खिलाफ कानूनी करवाई की जा रही है. संझौली प्रखंड के अभी तक दो किसानों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है. अन्य कई चिह्नित किये गये हैं, जांच चल रही है. डंठल जलाने का साक्ष्य मिलते ही उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
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