छपरा. जिले में कई दुर्गा पूजा पंडालों का अपना-अपना महत्व है, लेकिन दौलतगंज की बड़ी देवी दुर्गा पूजा समिति का इतिहास काफी खास है. करीब 93 साल से यहां मां दुर्गा की पूजा हो रही है.भक्तों का मानना है कि जो भी सच्चे मन से यहां आता है, मां उसकी हर मनोकामना पूरी करती हैं. यह मंदिर नवरात्र में भक्तों के लिए एक बड़ा आकर्षण केंद्र बन जाता है. इस दौरान मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाती है और पूरे मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है.
लालू प्रसाद यादव ने दिया था बड़ी देवी का नाम
दौलतगंज दुर्गा पूजा समिति के लाइसेंस धारक सियाराम सिंह ने बताया कि पहले यह पूजा समिति चेयरमैन की देवी के नाम से जानी जाती थी. 1990 में जब समिति के सदस्य आरजेडी नेता उदित राय के घर चंदा लेने गये थे, तब वहां लालू प्रसाद यादव भी मौजूद थे. उन्होंने ही सुझाव दिया था कि इस स्थान को बड़ी देवी के नाम से जाना जाये, ताकि माता का सम्मान और बढ़ सके. तभी से इस मंदिर का नाम बड़ी देवी पूजा समिति पड़ गया. समिति के सदस्यों ने बताया कि इस पूजा की शुरुआत 1929 में रघुनाथ शाह, हरिनंदन प्रसाद, सीताराम प्रसाद और भरत सहित अन्य लोगों ने मिलकर की थी. उस समय पूजा के लिए कोई स्थायी जगह नहीं थी और पूजा कभी टाट तो कभी तिरपाल के साये में होती थी. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पूजा देश को आजादी मिले, इसी संकल्प के साथ शुरू की गयी थी.
चार देवियों का मिलन, एक अनोखी परंपरा
एक और अनोखी कहानी यहां प्रचलित है. कहा जाता है कि दौलतगंज की बड़ी देवी और साहिबगंज की नारायण की देवी दोनों बहनें हैं. दशहरा के बाद जब विसर्जन जुलूस निकलता है, तो दोनों देवियाँ आपस में गले मिलती हैं. अब इस परंपरा में गुदरी बाजार की अन्नपूर्णा जी दुर्गा मंदिर भी शामिल हो गया है, जिससे चार देवियों का मिलन होता है. यह दृश्य बेहद आकर्षक होता है. इस साल पूजा समिति ने पंडाल की सजावट पर विशेष ध्यान दिया है.पूरे मंदिर परिसर और आसपास की सड़क को कृत्रिम और आधुनिक लाइटों से सजाया जाएगा. मां दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण विजय पंडित कर रहे हैं, जबकि मुकुट और अन्य सजावट का काम जोगेंद्र गोंड संभाल रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

