छपरा. सारण में समय के साथ बदलती भौगोलिक स्थितियों में सारण का भूगोल भी बदलता जा रहा है. 25 वर्ष पूर्व जब सरचै, गंगा, गंडक नदी उन्मुक्त बहा करती थीं, तब सारण जिले का लगभग पूरा इलाका नदियों के जाल से घिरा था. सरयू और गंडक की छारण कही जाने वाली धाराएं अपने विभिन्न स्वरूपों में सारण को घेर रखी थी. वक्त के थपेड़ों ने जैसे सबकुछ बदल सा दिया है. कुछ नदियां जो अपने वजूद के लिए लड़ रही हैं, या यूं कह लीजिये कि छोटी धारा के रूप में आज उसका अस्तित्व मात्र बचा है. जिले की एक दर्जन नदियों का तो अस्तित्व तक मिट गया है. बुधवार को इसी गंभीर मामले को लेकर जिलाधिकारी अमन समीर ने भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के अधीन जल एवं विद्युत परामर्श सेवा के पदाधिकारियों के साथ सारण की विलुप्त हो रही नदियों को लेकर समीक्षा की गयी. बैठक में अपर समाहर्ता, सभी उप समाहर्त्ता, भूमि सुधार, सभी अंचलाधिकारियों तथा बाढ़ प्रमंडल के अभियंता भी शामिल थे.
जिले की 12 नदियां विलुप्त होने की कगार पर
बैठक में सबसे पहले विलुप्त होने के कगार पर खड़ी जिले की 12 नदियों की चौड़ाई बढ़ाने, उन्हें पूर्ण रूप से अस्तित्व में लाने तथा 179 संरचनाओं की चौड़ाई बढ़ाने के लिए विचार विमर्श हुआ. इसे लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए ताकि इन नदियों की चौड़ाई बढ़ने से संबंधित रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जा सके.
मौजावर होगा सर्वेक्षण, वर्तमान चौड़ाई का लगाया जायेगा पता
निर्णय हुआ की सबसे पहले प्रस्तावित परियोजना के सफल कार्यान्वयन के परिप्रेक्ष्य में दो दिनों के अंदर मौजावार संबंधित नदियों की चौड़ाई का आकलन करने तथा कितना चौड़ा किया जा सकता है, से संबंधित मौजावार प्रतिवेदन तैयार किया जाये. सभी उप समाहर्ता भूमि सुधार की अध्यक्षता में बैठक कर उक्त परियोजना के कार्यान्वयन के लिए अग्रेत्तर कार्रवाई करने का निदेश दिया गया ताकि जल मंत्रालय भारत सरकार के पदाधिकारियों द्वारा उक्त परियोजना का कार्य प्रारंभ कराया जा सके. सारण की कुछ नदियां विलुप्त होने के कगार पर हैं और कुछ विलुप्त हो चुकी है. इनमें से कुछ नदियां गंडक और सरयू में मिलती हैं, लेकिन गंदगी और शहरीकरण के कारण उनका अस्तित्व खतरे में है. दाहा नदी:यह नदी एक समय गंडक और सरयू से जुड़ी थी, लेकिन अब यह प्रदूषित हो गयी है और इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. माही नदी, गंडकी नदी, तेल नदी, सोंधी नदी, दाहा नदी, धमती नदी, खनूआ नाला और नेउरा नाला आदि पर सबसे पहले प्रशासन और विभाग की नजर है.सारण में नदियों की स्थिति
गंगा नदी: यह जिले की दक्षिणी सीमा के साथ बहती है और जिले से कोतवापट्टी रामपुर में प्रवेश करती है.गंडक नदी:
यह जिले की उत्तरपूर्वी सीमा बनाती है. यह सोनपुर में गंगा नदी से मिलती है.घाघरा नदी:
यह जिले की दक्षिण-पश्चिमी सीमा बहती है और छपरा के पास गंगा नदी में मिलती है.सहायक नदियां
माही, घोघरी और गंडकी गंडक नदी की सहायक नदियां हैं.अन्य नदियों का हाल
कुछ नदियां, जैसे कि कंचन और धर्मावती, पानी की कमी के कारण सूख रही हैं.कुछ नदियों का पानी प्रदूषित हो रहा है, जिससे जलीय जीवों का अस्तित्व खतरे में है.
कुछ नदियां, जैसे कि बाणेश्वरी दाहा नदी , सीवान में जीवन रेखा मानी जाती हैं, लेकिन वे भी प्रदूषण और जल प्रदूषण के कारण संकट में हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है