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लोकतंत्र की विकृतियों को दूर करने के लिए जेपी के विचारों पर अमल जरूरी : कुलपति

जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलदेवता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मजयंती विश्वविद्यालय में समारोहपूर्वक मनायी गयी.

छपरा. जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलदेवता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मजयंती विश्वविद्यालय में समारोहपूर्वक मनायी गयी. इस अवसर पर जयप्रकाश अध्ययन केंद्र के तत्वावधान में विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में जयप्रकाश नारायण व्यक्तित्व, कृतित्व एवं विरासत विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया. समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो परमेंद्र कुमार बाजपेई ने लोकनायक की संपूर्ण क्रांति की अवधारणा की आध्यात्मिक नजरिये से व्याख्या की. उन्होंने कहा कि लोकनायक की अवधारणा न तो पूरी तरह से समाजवादी थी, न सर्वोदयी और न ही गांधीवादी, बल्कि उनकी अपनी अलग तरह की अवधारणा थी जिसे आज जानने, समझने और अपनाने की आवश्यकता है. कुलपति ने कहा कि अपनी नीति में वे लोकनीति की बात करते हैं. सर्वहारा और सार्वभौमिक विचार-विमर्श से कोई नीति बने, ऐसी उनकी सोच थी. उन्होंने कहा कि शासन दिखना नहीं चाहिए बल्कि शासन का आभास होना चाहिए. मुख्य वक्ता स्वतंत्र पत्रकार व लेखक डॉ राकेश कुमार ने लोकनायक के व्यक्तित्व के कई अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आर्थिक समस्याओं के बावजूद उनमें देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने का चिंतन था. उन्होंने कुछ समय तक प्रसिद्ध उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला के निजी सचिव के रूप में भी कार्य किया. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जब उन्हें हजारीबाग जेल में रखा गया था तब वह आजादी की लड़ाई के लिए जेल से भागकर नेपाल पहुंच गये और वहां उन्होंने रेडियो स्टेशन की स्थापना की हालांकि यह ज्यादा सफल नहीं हुआ. नेपाल में उन्होंने आजाद दस्ता की भी स्थापना की थी. उन्होंने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी सर्वप्रमुख भूमिका थी. मुख्य अतिथि पटना विश्वविद्यालय की राजनीति शास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो सीमा प्रसाद ने अपने संबोधन में कहा कि लोकनायक बहुत हिम्मती और संघर्षशील थे तभी तो वे केमिकल इंजीनियरिंग पढ़ने अमेरिका गये थे लेकिन उनका मन समाजशास्त्र में रम गया और उन्होंने उसी विषय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की. डॉ बैद्यनाथ मिश्रा ने मंगलाचरण एवं संस्कृत विभाग के शोधार्थियों और एनएसएस की छात्राओं ने विश्वविद्यालय का कुलगीत और स्वागत गान किया. कुलपति का स्वागत जयप्रकाश अध्ययन केंद्र के निदेशक डॉ संजय पाठक ने किया जबकि मुख्य अतिथि का स्वागत डॉ रीता कुमारी ने किया. विषय परावर्तन डॉ संजय पाठक, संचालन डॉ रितेश्वर तिवारी तथा धन्यवाद ज्ञापन अध्यक्ष, छात्र कल्याण प्रो राणा विक्रम सिंह ने किया. इस अवसर पर कुलसचिव प्रो नारायण दास, परीक्षा नियंत्रक डॉ अशोक कुमार मिश्रा, एनएसएस समन्वयक प्रो हरिश्चंद्र, महाविद्यालय निरीक्षक प्रो शमी अहमद, वित्त पदाधिकारी सुधांशु मिश्रा सहित विश्वविद्यालय के अन्य पदाधिकारी, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, प्राचार्य, प्राध्यापक, छात्र-छात्रा एवं कर्मचारी उपस्थित थे.

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