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saran news : मच्छरों से निजात दिलाने के लिए नगर निगम शुरू करायी फॉगिंग

saran news : सभी वार्डों में एंटी लार्वा का होगा छिड़काव, नगर आयुक्त ने तैयार किया प्लानमंगलवार से ही शहर में मच्छर को कम करने को लेकर की जा रही फॉगिंग

छपरा. बाढ़ के बाद छपरा नगर निगम क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में जल जमाव हो जाने के बाद मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया था. इसी से निजात पाने के लिए नगर निगम ने पहले तो सभी क्षेत्र में डीडीटी का छिड़काव करवाया और अब मच्छरों को मात देने के लिए एंटी लार्वा का छिड़काव और डेंगू प्रकोप को रोकने के लिए फागिंग भी शुरू कर दी है.

मंगलवार से ही शहर में मच्छर को कम करने के लिए फागिंग का काम प्रारंभ कर दिया गया है. जिससे मच्छर का लार्वा समाप्त हो जायेगा. मच्छरों और डेंगू रोग को हराने को लेकर नगर निगम शहर में फागिंग काम प्रारंभ किया है. मशीन से मच्छर मारने की दवा का छिड़काव किया जा रहा है. अब देखना है कि इसका असर कितना होता है. जो केमिकल का छिड़काव किया जायेगा, वह कितना ओरिजिनल होगा?

क्या है प्लान

नगर आयुक्त ने मुख्य सड़क और वार्ड की गलियों के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया है. वार्ड की गलियों में लगातार एक सप्ताह तक अभियान चलेगा. जबकि, मुख्य सड़कों के लिए हर दिन के लिए अलग-अलग टीम बनायी गयी है. फॉगिंग अभियान की सफलता के लिए वार्ड सुपरवाइजर और नगर निगम के लिए दो स्वच्छता पदाधिकारियों को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. यह प्रतिदिन की रिपोर्ट नगर आयुक्त को देंगे.

निगम क्षेत्र में एक दर्जन मशीन से हो रहा छिड़काव

मच्छरों और डेंगू का लार्वा को मारने के लिए नगर निगम लगभग एक दर्जन फॉगिंग मशीन को शहर में उतारा है. बताया तो यह भी जा रहा है कि फॉगिंग के साथ-साथ केमिकल का भी छिड़काव जरूर किया जायेगा, ताकि मच्छर के लार्वा को मारा जा सके. फॉगिंग के धुएं घरों में जब जाते हैं, तो मच्छर मर जाते हैं या फिर भाग जाते हैं.

सूर्यास्त के पहले और सूर्यास्त के बाद फॉगिंग जरूरी

नगरपालिका अधिनियम के तहत फागिंग करने का भी नियम है. पूर्व वार्ड पार्षद सियाराम सिंह बताते हैं कि जिस इलाके में फागिंग होनी है वहां एक दिन पहले मुनादी करना जरूरी है. लोगों को बताना होगा कि जिस दिन फागिंग होगी उस दिन अपने दरवाजे और खिड़की बंद रखें. नालियों, कूड़े के ढेर में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव अनिवार्य है. इसके बाद डीडीटी स्प्रे भी होता है. सिर्फ यही नहीं, सूर्यास्त से पहले और सूर्यास्त के बाद दो बार फागिंग होनी चाहिए, तभी इसका असर रहता है. जिस केमिकल का प्रयोग फॉगिंग के लिए हो रहा है, उसकी लैब टेस्टिंग भी जरूरी है. इसके साथ ही फॉगिंग में प्रयोग होने वाली मशीन की क्वालिटी जांच भी होनी चाहिए. यह सब कुछ भी नहीं हो रहा है.

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