सोनपुर. वृन्दावन धाम से पधारे कथा वाचक सुमन्त कृष्ण शास्त्री कन्हैया महाराज ने तृतीय दिवस की कथा में बतलाया कि भगवान की कथा श्रवण से मानसिक तनाव दूर होता है. विषम परिस्थिति में भी भगवान का चिंतन नहीं छोड़ना चाहिए. पांडवों से यह शिक्षा लेनी चाहिये. सब कुछ खो देने के बाद भी इन्होंने भगवान कृष्ण का साथ नहीं छोड़ा. कुंती स्तुति में महाराज श्री ने बताया कि दुख के समय घबराने की बजाय भगवान का भजन कीर्तन और ज़्यादा से ज़्यादा करना चाहिए. जैसे धूप बारिश में हम छाता से बचाव करते हैं. बीमार होने पर दवा से बचाव करते हैं. ऐसे ही संकट काल में भजन का आश्रय ले लेना चाहिए. भगवान को पाने के लिए अवस्था और व्यवस्था की आवश्यकता नहीं होती. उनको पाने के लिए तो आस्था होनी चाहिए. ध्रुव जी ने मात्र पांच वर्ष की अवस्था में भगवान को प्राप्त कर लिया. कथा प्रसंग के अनुसार ही बहुत ही सुंदर ध्रुव नारायण की झांकी का दर्शन कराया गया. सभी भक्तों ने खूब आनन्द प्राप्त किया. पंडाल का वातावरण भक्तिमय हो गया. राधे राधे की गूंज से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया.
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