दिघवारा. लोकतंत्र के महापर्व में हर किसी ने अपनी अपनी हिस्सेदारी दर्ज की और अपने पसंद के प्रत्याशी की चुनावी किस्मत को इवीएम में कैद कर दिया. चुनाव खत्म होने के बाद अब परदेसियों के परदेस लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है और बड़ी संख्या में लोग अपने कार्य स्थल पर लौटने लगे हैं. लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ में घर आने वाले लोगों ने लोकतंत्र के महापर्व में अपनी सहभागिता दर्ज करने का निर्णय लिया था और ऐसे लोग छठ की समाप्ति के बाद वोटिंग करने के लिए रुक गये थे. ताकि अपने वोट से बिहार के लिए एक मजबूत सरकार चुन सके. गुरुवार को मतदान में अपनी भागीदारी दर्ज करने के बाद ऐसे लोग अब अपने कार्य स्थल पर लौटने लगे हैं.गुरुवार और शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोगों को नई दिल्ली, मुंबई, अमृतसर, कोलकाता, सूरत, भोपाल, हैदराबाद, केरल आदि जगहों के लिए ट्रेन पकड़ते देखा गया. ऐसे वोटरों ने मतदान की तिथि के दिन ही या तो अपने लिए टिकट की बुकिंग कर लिया था या फिर शुक्रवार के लिए टिकट लिया था. ऐसे लोग अब फिर अपने कमाने वाले स्थल पर लौटने लगे हैं. वोट देकर लौटने वाले लोगों के चेहरों पर संतोष के भाव थे. सबों का कहना था कि पहले तो महापर्व में हिस्सा लिया और फिर लोकतंत्र के महापर्व में अपनी सहभागिता दर्ज करने का मौका मिला. कई लोगों ने कहा कि इस बार वोटिंग के चलते ही लंबी अवधि तक घर पर रहने का मौका मिला है. कई लोगों ने कहा कि लौटने का टिकट न मिलने पर या तो तत्काल से टिकट लिया गया है या फिर साधारण श्रेणी की बॉगी से ही यात्रा कर वे लोग अपने गंतव्यों तक पहुंचेंगे. जो भी हो प्रवासी वोटरों के वोट का भी असर चुनाव परिणाम पर पड़ेगा, यह तय है और ऐसे वोटों की अहमियत प्रत्याशियों की चुनावी किस्मत तय करने में बहुत मायने रखेगी.
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