छपरा. जयप्रकाश विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पीएचडी प्रवेश परीक्षा का परिणाम वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है. इस परीक्षा में 15 फीसदी से भी कम अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं. कुल 1378 अभ्यर्थियों ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा दी थी. कई प्रमुख विषयों में तो परिणाम काफी निराशाजनक रहा है. विश्वविद्यालय ने काफी कड़ाई से परीक्षा आयोजित की थी. वर्ष 2022 के लिए जो पीएचडी प्रवेश परीक्षा ली गयी थी. उसमें करीब 2200 अभ्यर्थी शामिल हुए थे. जिसमें से 700 से अधिक अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए थे. गत सत्र की तुलना में इस बार परिणाम काफी कम आया है. विश्वविद्यालय जल्द ही पीएचडी प्रवेश परीक्षा का अंक पत्र भी रिलीज कर देगा. इसके बाद कोर्स वर्क में नामांकन के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया शुरू की जायेगी. साक्षात्कार में वेटेज अंक के आधार पर कोर्स वर्क में नामांकन की लिस्ट जारी की जायेगी. नेट उत्तीर्ण अभ्यार्थी सीधे साक्षात्कार की प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे. वहीं जयप्रकाश विश्वविद्यालय से पीएचडी प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को कोर्स वर्क में नामांकन की प्राथमिकता मिलेगी. जल्द ही विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर कोर्स वर्क के सभी विषयों में उपलब्ध सीटों की संख्या भी जारी की जायेगी.
छह माह के कोर्स वर्क में होगा दाखिला
जेपीयू में रिसर्च को लेकर गत वर्ष ही नया गाइडलाइन आया है. यूजीसी से प्राप्त निर्देश के अनुसार नामांकन के बाद छात्रों को न्यूनतम तीन व अधिकतम सात वर्ष में अपना रिसर्च पूरा कर लेना होगा. कोर्स वर्क में नामांकन के बाद कंप्यूटर प्रशिक्षण व रिसर्च एंड मैथोलॉजी पर आधारित कक्षाएं शुरू होंगी. कोर्स वर्क की अवधि छह माह की होगी. जिसके बाद परीक्षाएं ली जायेंगी. परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात डीआरसी की बैठक में छात्रों को गाइड अलॉट कर दिया जायेगा. गाइड के मार्गदर्शन में ही विधिवत रूप से शोध कार्य प्रारंभ हो सकेगा. गाइड व शोधार्थी के बीच विचार-विमर्श के बाद ही रिसर्च के विषय का टॉपिक निर्धारित होगा.सिनॉप्सिस अप्रूव होने के बाद शुरू होगा रिसर्च
छह माह का कोर्स वर्क पूरा होने के बाद छात्र-छात्राएं गाइड के निर्देशन में सिनॉप्सिस तैयार करेंगे. सिनॉप्सिस तैयार होने के बाद उसे पहले डिपार्टमेंटल रिसर्च काउंसिल में अप्रूव कराना होगा. विभाग से सिनॉप्सिस अप्रूव होने के बाद उसे पीजीआरसी में भेजा जायेगा. पीजीआरसी की बैठक में सिनॉप्सिस की जांच होगी. सिनॉप्सिस जांच के लिए एक विशेष प्रकार के सॉफ्टवेयर का भी इस्तेमाल होगा. जिससे यह पता चल सकेगा कि सिनॉप्सिस में किसी प्रकार की नकल सामग्री प्रयुक्त नहीं है. पीजीआरसी से अप्रूव होने के बाद विभाग स्तर पर सिंपोजियम व सेमिनारों का आयोजन होगा. अधिकतम दो सेमिनार में शामिल होने वाले छात्रों का साक्षात्कार होगा. जिस प्रक्रिया के समाप्त होने के बाद उन्हें उपाधि दी जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

