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saran news. मिनी ताजमहल के रूप में चर्चित करिंगा डच मकबरा अब सुरक्षित पुरातात्विक स्थल घोषित

जिलाधिकारी ने इसी महीने इसके लिए अनापत्ति पत्र जारी किया था, इसकी घोषणा होने से सारण के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गयी है

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प्रतिनिधि. सारण में मिनी ताजमहल के रूप में चर्चित करिंगा डच मकबरा अब सुरक्षित पुरातात्विक स्थल घोषित कर दिया गया है. जिलाधिकारी ने इसी महीने इसके लिए अनापत्ति पत्र जारी किया था. इसकी घोषणा होने से सारण के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गयी है. घोषणा से सारण में पर्यटन को धीरे-धीरे बढ़ावा मिलेगा और यह पर्यटन की दृष्टि से विकसित हो जायेगा. बिहार सरकार के कला संस्कृति एवं युवा विभाग के पुरातत्व निदेशालय ने अपनी अधिसूचना में बताया है कि करिंगा मकबरा को सुरक्षित घोषित करने का प्रस्ताव बिहार प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल, अवशेष तथा कलानिधि अधिनियम, 1976 के प्रावधान के तहत अधिसूचित किया गया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है.

16 अप्रैल को अधिसूचना जारी

सुरक्षित घोषित करने के प्रस्ताव के आलोक में आपत्ति या सुझाव आमंत्रित किये गये थे. जिलाधिकारी अमन समीर द्वारा इसी अप्रैल माह अनापत्ति संसूचित की गई थी. अनापत्ति प्राप्त होने के उपरांत पुरातत्व निदेशालय की 16 अप्रैल को निर्गत अधिसूचना द्वारा करिंगा मकबरा को पुरातात्विक स्थल के रूप में सुरक्षित घोषित किया गया है.

ताजमहल की वास्तुकला की नकल है यह मकबरा

यह मकबरा आगरा के ताजमहल की वास्तुकला पर ही बनाया गया है. मगर इसकी अनदेखी हो रही थी और यह खंडहर में बदलता जा रहा था. स्थानीय लोग इसे लेकर जिले के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को कोसते थे. लोग यही कहते थे कि सारण में पर्यटन के क्षेत्र में कुछ भी नहीं हो रहा है और आजादी के समय जो सारण के हालात थे वही आज भी है.

डच गवर्नर जैकब्स की मौत के बाद हुआ निर्माण

ये मकबरा करीब 300 वर्ष पुराना है. इसे लोग डच मकबरा के नाम से भी जानते हैं. ये छपरा शहर मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर करिंगा गांव में स्थित है. हालांकि, शहर से इतना पास होने के बाद भी आज तक इस मकबरे से जीर्णोद्धार के लिए कोई सही दिशा और मंशा से काम नहीं किया गया था. अब इसके भाग्य खुल गए हैं. इसके विकास के साथ ही इस इलाके का भी विकास होगा. पुर्तगालियों ने छपरा में अपने व्यापार का केंद्र स्थापित किया था. इस बात की जानकारी सारण राजपत्र में छपे एक लेख से मिलती है. बताया जाता है कि जलीय मार्ग से व्यापार का छपरा भी एक मुख्य केंद्र हुआ करता था. डच और पुर्तगाली छपरा को एक केंद्र के रूप में देखते थे. आलेख के अनुसार छपरा का कारिंगा हिस्सा 1770 तक डच लोगो के अधीन था. नमक के व्यापार के लिए छपरा का केंद्र सत्यापित हुआ था. व्यापार के क्रम में यहां रहते हुए एक डच गवर्नर जैकब्स वान हार्न की असमय मृत्यु हो गयी. इसके बाद इसके मकबरे का निर्माण कराया गया. आसपास के लोग इसे छोटा ताजमहल भी बुलाते हैं.

कई बार जीर्णोद्धार की हुई कोशिश, नहीं मिली सफलता

डच मकबरे के जीर्णोद्धार के लिए कई बार कोशिश की गयी. सारण के पूर्व जिलाधिकारी दीपक आनंद ने मकबरे के जीर्णोद्धार के लिए राज्य सरकार के पत्र लिखा. इसके बाद पुरातत्व विभाग द्वारा स्थानीय स्तर पर जांच किया गया. मगर कुछ बेहतर कार्य नहीं किया जा सका. इसके बाद जिलाधिकारी नीलेश चंद्र देवड़े ने मकबरा के जीर्णोद्धार के लिए डच राजदूत सहित नीदरलैंड के विदेश मंत्रालय और राज्य तथा केंद्र सरकार के पर्यटन विभाग से संपर्क करने की कोशिश की. मगर कुछ खास असर देखने को नहीं मिला. वर्तमान जिलाधिकारी अमन समीर ने इस पर पहल शुरू की और सफलता मिल गयी. पुरातात्विक स्थल को सुरक्षित घोषित करने से न केवल स्थलों का संरक्षण होता है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत की रक्षा, पर्यटन और शिक्षा को बढ़ावा मिलता है, और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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