मांझी. कृषि विज्ञान केंद्र, मांझी द्वारा आयोजित पांच दिवसीय प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुक्रवार को सफलतापूर्वक समापन हो गया है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों और कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती के प्रति प्रेरित करना था. समापन समारोह में सारण जिले के मांझी, रिविलगंज, सदर, दिघवारा और सोनपुर प्रखंड की कुल 28 कृषि सखियों को प्रमाण पत्र वितरित किये गये. केंद्र के उद्यान विशेषज्ञ डॉ जितेंद्र चंदोला, पौध संरक्षण विशेषज्ञ डॉ जीर विनायक, कृषि अभियांत्रिकी विशेषज्ञ डॉ सुषमा टम्टा और कार्यक्रम सहायक डॉ विजय कुमार ने प्रतिभागियों को सम्मानित किया. डॉ जितेंद्र चंदोला ने प्राकृतिक खेती के महत्व पर जोर देते हुए इसे समय की मांग बताया. उन्होंने कृषि सखियों से आग्रह किया कि वे इस ज्ञान का प्रभावी ढंग से प्रचार-प्रसार करें. इन पांच दिनों के प्रशिक्षण में कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती के विभिन्न पहलुओं की विस्तृत जानकारी दी गयी, जिनमें प्राकृतिक खेती का इतिहास और महत्व, उपयोग होने वाले उपकरण, मृदा स्वास्थ्य में सुधार के तरीके, कीट और रोग प्रबंधन, जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत और ब्रह्मास्त्र बनाने की विधि और उनका उपयोग, प्राकृतिक, जैविक और रासायनिक खेती के बीच अंतर आदि शामिल था. कार्यक्रम के अंत में एक परीक्षा भी आयोजित की गयी, जिसमें शीला देवी ने प्रथम, छाया कुमारी ने द्वितीय और अनिभा कुमारी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया. इसके अलावा, गुड़िया कुमारी और सोनम कुमारी भी क्रमश: चौथे और पाँचवें स्थान पर रहीं. पांच प्रतिभागियों को किसान डायरी देकर सम्मानित भी किया गया.
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