छपरा. ग्रीन ट्रिब्यूनल की कोलकाता खंडपीठ ने जलजमाव से संबंधित एक पुराने मामले में जिला प्रशासन और आवास बोर्ड द्वारा अब तक कोई जवाब दाखिल न करने को गंभीरता से लिया है. खंडपीठ ने इसे अपने आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख करते हुए नाराजगी जतायी है.
इस मामले की पिछली सुनवाई तीन मार्च को हुई थी, जिसमें ट्रिब्यूनल ने जिला प्रशासन को स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था. हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान जिला परिषद के वकील ने जवाब देते हुए कहा कि बड़े हनुमान प्रतिमा स्थल से टारी गांव तक बॉक्स नाले का निर्माण किया जा चुका है, अतः वाद को समाप्त कर देना चाहिए.हालांकि, वेटरन्स फोरम के सचिव डॉ बीएनपी सिंह ने इसका कड़ा प्रतिवाद करते हुए न्यायालय से आग्रह किया कि ऐसी बातों को लिखित रूप में प्रस्तुत किया जाये. उन्होंने यह भी कहा कि जलजमाव की असल स्थिति का मूल्यांकन बरसात के मौसम में ही संभव है. इस पर खंडपीठ ने अंतिम अवसर देते हुए निर्देश दिया कि जिला प्रशासन और जिला परिषद अगली सुनवाई में संपूर्ण तथ्यों सहित विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें. अगली सुनवाई की तिथि सात अगस्त निर्धारित की गयी है.फोरम के प्रतिवाद से बचा वाद का निस्तारण
प्रभुनाथ नगर निवासी प्रोफेसर पृथ्वीराज सिंह ने बताया कि यदि वेटरन्स फोरम की ओर से प्रतिवाद नहीं किया गया होता, तो यह मामला उसी तरह समाप्त हो जाता जैसे पहले के कई मामलों में हुआ है. उन्होंने कहा कि प्रभुनाथ नगर की जलजमाव की समस्या भी खनुवा नाले की तरह वर्षों तक लंबित रह जाती.बिजली पोल बने बाधा, निर्माण अधूरा
प्रभुनाथ नगर कॉलोनी में नाला निर्माण का कार्य भले ही प्रारंभ हो चुका है, लेकिन कई स्थानों पर सड़क अतिक्रमण, बिजली के खंभे और ट्रांसफॉर्मर निर्माण में बाधा बन रहे हैं. डॉ बीएनपी सिंह ने बताया कि नाले अब तक पूरा नहीं बने हैं, और अर्धनिर्मित नालों को जोड़ा भी नहीं गया है. उन्होंने आशंका जतायी कि यदि कार्य की गति यही रही, तो अगली सुनवाई तक भी जलजमाव की समस्या बनी रहेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है