छपरा. आगामी 22 सितंबर यानी 12 दिन बाद शारदीय नवरात्र के लिए कलश स्थापना होगी. लेकिन जिले के लोग घरों में अभी से ही यह प्लान बनाने में जुट गये हैं कि इस दशहरा में कहां-कहां घूमना है, तो याद रखें यदि लिस्ट बना रहे हैं, तो छपरा शहर के पूरब में स्थित बड़ा तेलपा टैक्सी स्टैंड सबसे पहले जाएं. यहां पांच लाख शीशे की चूड़ियों और दो लाख शीशे के टुकड़े से तमिलनाडु के मीनाक्षी मंदिर के रूप में बने पंडाल का दीदार होगा और इसमें हाथी पर सवार मां दुर्गा विराजमान दिखेंगी. यानी छपरा में ही मीनाक्षी मंदिर का दर्शन हो जायेगा, वह भी शानदार लाइट और आकर्षक रूप में.
कई मायनों में खास होगा तेलपा टैक्सी स्टैंड पंडाल
शहर के बड़ा तेलपा टैक्सी स्टैंड में इस साल विशाल पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है. इसकी ऊंचाई 150 फुट तक और चौड़ाई 70 फुट के बीच रहेगी. पंडाल निर्माण के मुख्य कलाकार पश्चिम बंगाल से आये मंटू दास की माने, तो उनके अनुसार इस बार का पंडाल काफी आकर्षक होगा. चूड़ी, शीशा, जुट की बोरी, प्लाइवुड और थर्मोकोल से तैयार किया जा रहा है.हाथी पर सवार माता का होगा दर्शन
पूजा समिति के अध्यक्ष रामविलास राय, सीताराम सिंह, सत्यम जी, मनोज राय, मनोहर यादव, संजय जी, गोपाल राय, देवेंद्र राय, अभिषेक, रंजय, गोलू, अमित, सोनू फुलवांसी, सौरभ, दिलीप, मोहित आदि ने बताया कि यहां 39 साल से पूजा-अर्चना की जाती है. इस बार हाथी पर सवार मां दुर्गा का दर्शन होगा. प्रतिमा निर्माण का कार्य अंतिम दौर में है. इसके लिए पश्चिम बंगाल के शिल्पकार नृपेंद्र दादा को बुलाया गया है. नृपेंद्र जब से यहां पूजा शुरू हुई, तब से प्रतिमा का निर्माण करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रतिमा निर्माण के दौरान मां दुर्गा, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, गणेश और कार्तिक की प्रतिमा बनायी जाती है, जबकि राक्षस के विकराल रूप को भी दिखाया जाता है. पूरे जिले से लोग यहां के पंडाल को देखने हर साल आते हैं. इस बार प्रयास है कि प्रतिमाओं के आसपास शानदार लाइटिंग की व्यवस्था की जाये, ताकि कुछ खास हो सके.शानदार रहा है इतिहास
तेलपा टैक्सी स्टैंड पूजा समिति का पंडाल निर्माण में एक अलग ही इतिहास रहा है. 1994 से स्थानीय लोगों के सहयोग से अस्तित्व में आया आदर्श दुर्गापूजा समिति, बड़ा तेलपा टैक्सी स्टैंड द्वारा हर वर्ष पूजा पंडाल के निर्माण में कुछ अलग करने की परंपरा रही है. पूर्व के वर्षों में बादाम, प्लास्टिक के चम्मच, चना व मसूर दाल, प्लास्टिक पाइप, मिट्टी के कुल्हड़, कोल्ड्रिंक की बोतल, मखमली कपड़े आदि के प्रयोग से कारीगरों द्वारा पंडाल को अलग लुक दिया जाता है. यही कारण है कि शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले लोगों में इस पंडाल को देखने को उत्सुकता बनी रहती है.12 लाख रुपये से पंडाल का हो रहा निर्माण
छपरा नगर निगम क्षेत्र में तो वैसे कई पंडाल बन रहे हैं, लेकिन यह पंडाल सभी से अलग होगा. इसके निर्माण में 12 लाख रुपये खर्च होंगे. पंडाल बना रहे कारीगर मंटू दास, भोला सरकार, उमा महतो, लड्डू चौधरी, राजू चौधरी और उनके साथियों ने बताया कि करीब 10 दिन और लगेंगे. पंडाल के निर्माण में 1100 बांस, 5000 लकड़ी का बीट और 6000 मीटर कपड़ा और लगभग एक लाख रुपये का थर्मोकोल लग जायेगा. पंडाल को आकर्षक रूप देने के लिए पांच लाख चूड़ियां, दो लाख शीशे के टुकड़े, 20 लकड़ी की प्लाइ, 20 बंडल जुट का बोरा, 10 किलो थर्मोकोल, चार बोरा कील आदि का उपयोग होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

