मांझी (छपरा) : रात-दिन आम नागरिकों को बेहतर सुरक्षा सुविधा प्रदान करने का बोझ अपने कंधों पर उठा रही बिहार के सारण जिले के छपरा स्थित मांझी थाने की पुलिस के पास रहने के लिए एक अदना सा भवन भी नहीं है. आलम यह कि इस थाने के पुलिसकर्मियों को अंग्रेज जमाने के बने भवन रहकर ठंड तथा बरसात में किसी तरह रहकर दिन गुजारना पड़ रहा है.
बिहार तथा उत्तर प्रदेश की सीमा होने से यह थाना महत्वपूर्ण माना जाता है. थाना में पीछे से कोई चहारदीवारी नहीं है. जनसहयोग से सामने की चहारदीवारी करवायी गयी. जिला शास्त्र पुलिस किसी तरह वर्तमान में चल रहे जर्जर भवन के एक तरफ में रह रहे हैं. पुलिस पदाधिकारी भी इसी पुराने जर्जर भवन में रह रहे है. इस थाना के अंतर्गत दोनों पुलिस पिकेट भी जर्जर भवन में चलाया जा रहा है. पिकेट के अपना भवन तक नहीं है. इतना ही नहीं, ताजपुर में स्थित पिकेट कॉपरेटिव के जर्जर भवन में संचालित होता है. महम्मदपुर में उप स्वास्थ्य भवन के पुराने भवन में संचालित होता है. थाना से लेकर पुलिस पिकेट जर्जर भवन में संचालित होता है.
थाने में नहीं है कोई मालखाना
मांझी थाने में काफी संख्या में वाहन तथा अन्य समान बरामद होते है. थाने में सड़ रहे वाहन या अन्य सामन को पुलिस ने विभिन्न कांडों में कुर्की के दौरान जब्त किया है. कई वाहन तो कागजात जांच और ओवरलोडिंग को लेकर पकड़े गये हैं. थानों में सड़ रहे वाहनों में स्कार्पियो, इंडिका, बोलेरो, पिकअप वैन, मोटरसाइकिल शामिल है. थाना में मालखाना तथा गोदाम नहीं होने से कुर्की के दौरान जब्त कि ये घरेलू सामान खुले आसमान के नीचे रखा हुआ है. घरेलू सामान में फर्नीचर, बरतन सहित कई समान सड़ रहे है. खुले आसमान के नीचे लाखों की सामान सड़ रहे हैं. मालखाना तथा गोदाम नहीं होने से वाहन तथा कुर्की के जब्त किये गये सामान कबाड़खाने की तरह रखे गये हैं.
खपरैल मकान में ही चलता है पुलिसकर्मियों का मेस
अंग्रजों के जमाने के बने जर्जर खपरैल भवन में पदाधिकारियों तथा पुलिसकर्मियों का पाकशाला (मेस) चलता है, जो कभी भी ध्वस्त हो सकता है. ना रहने के भवन, खाना बनाने के कोई भवन है. सरकार की ओर से थानों को आधुनिकीकरण और हाइटेक बनाने की योजना मजाक बन कर रह गयी है. सरकारी उदासीनता के कारण थाना में सुविधा व संसाधनों का घोर अभाव हैं.