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शो पीस बना जिप का निरीक्षण भवन
ब्रिटिश कालीन समय का यह डाकबंगला, बाद में बनाया गया भवन दिघवारा : नगर पंचायत के जय गोविंद क्रीडा मैदान के बगल में जिला पर्षद के स्वामित्व वाला डाकबंगला( निरीक्षण भवन) इन दिनों अतिक्रमण का शिकार है और लाखों रुपये के खर्च के बावजूद यह बंगला दिन प्रतिदिन अपनी जर्जरता की ओर अग्रसर है. जानकारी […]
ब्रिटिश कालीन समय का यह डाकबंगला, बाद में बनाया गया भवन
दिघवारा : नगर पंचायत के जय गोविंद क्रीडा मैदान के बगल में जिला पर्षद के स्वामित्व वाला डाकबंगला( निरीक्षण भवन) इन दिनों अतिक्रमण का शिकार है और लाखों रुपये के खर्च के बावजूद यह बंगला दिन प्रतिदिन अपनी जर्जरता की ओर अग्रसर है. जानकारी के अनुसार जिला पर्षद के कार्यों के निरीक्षण के क्रम में रेस्ट व मीटिंग करने के उद्देश्य के साथ इसका निर्माण हुआ था
मगर उद्देश्य सिर्फ कागजों तक रह गया है. धीरे धीरे यह मवेशियों का खटाल बनता जा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस निरीक्षण भवन वाले जमीन पर अगर जिला पर्षद द्वारा विवाह भवन या फिर जनहित के किसी कार्यों की बिल्डिंग बन जाती तो बहुसंख्यक लोग लाभान्वित होते. परिसर की दीवारें कई जगहों से टूट गयी है वही बीते दिनों आई बाढ़ से भी काफी नुकसान पहुंचा है.आज लगभग एक बीघा से अधिक जमीन वाला यह कैंपस लोगों के शौच का प्रमुख केंद्र बन गया है.अभी भी पूरे परिसर में कई जगहों पर बोझा पड़ा हुआ है. जिसका मन करे वही इस जगह का उपयोग करता है.
मुख्य द्वार पर गेट नहीं होने के चलते किसी को कैंपस के अंदर प्रवेश करने में कोई दिक्कत नहीं होती है. हाल ही में जीर्णोद्धार पर खर्च हुई है राशि : जिला पर्षद के इस निरीक्षण भवन में दो कमरे हैं मगर कोई इसमें न तो कोई मीटिंग होती है और न ही जिला पर्षद का कोई अधिकारी इसका निरीक्षण करने आते हैं. हां, एक कमरे में एक गार्ड रहता है जिसे लगभग तीन दशक से जिला पर्षद द्वारा एक फूटी कौरी भी नहीं मिल सकी है.दूसरे कमरे में हमेशा ताला लगा रहता है.यह बात अलग है कि इस भवन का कोई उपयोग नहीं होता है मगर जिला परिषद् द्वारा इस भवन के जीर्णोद्धार पर हमेशा राशि खर्च की जाती है.
हाल ही में 13 वीं वित्त आयोग की लगभग 6 लाख 75 हजार 800 की राशि से इस निरीक्षण भवन में टाइल्स,मार्बल लगाने के साथ साथ रंगाई पुताई करवाकर इसका जीर्णोद्धार कराया गया है.बुजुर्गों की माने तो यह डाकबंगला ब्रिटिश कालीन समय का है.कुछ जानकार यह भी बताते हैं कि इसी जगह पर आजादी के मतवाले क्रांतिकारी आंदोलनों की योजना भी बनाते थे,तभी से यह डाकबंगला के नाम से मशहूर हुआ. बाद में यह जिला परिषद् की परिसंपत्ति बन गयी.बहुत पहले यह एस्बेस्टस का था जिसके बाद इसके छत की ढलाई की गयी और यह भवन के स्वरूप में आ गया.
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