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…छोड़ के संसार जब तू जायेगा, कोई न साथी तेरा साथ निभायेगा

…छोड़ के संसार जब तू जायेगा, कोई न साथी तेरा साथ निभायेगा गीता का हर शब्द अमृत के समानगीता जयंती साप्ताहिक के दूसरे दिन प्रवचन की अमृतवर्षा से सराबोर हुए श्रोतानोट: फोटो मेल से भेजा गया है. दिघवारा. मानव जीवन में सतसंग की अहम भूमिका होती है. सत्संग के सहारे ही मानव मोह रूपी माया […]

…छोड़ के संसार जब तू जायेगा, कोई न साथी तेरा साथ निभायेगा गीता का हर शब्द अमृत के समानगीता जयंती साप्ताहिक के दूसरे दिन प्रवचन की अमृतवर्षा से सराबोर हुए श्रोतानोट: फोटो मेल से भेजा गया है. दिघवारा. मानव जीवन में सतसंग की अहम भूमिका होती है. सत्संग के सहारे ही मानव मोह रूपी माया के भंवरजाल से निकल कर ईश्वर भक्ति के लिए वक्त निकाल पाता है. वहीं, महात्मा के शब्दों से व्यक्ति के ज्ञान चक्षु खुलते हैं. उपरोक्त बातें नगर पंचायत के मालगोदाम के सामने गीता जयंती समारोह समिति द्वारा आयोजित गीता जयंती साप्ताहिक समारोह के दूसरे दिन प्रवचन की अमृतवर्षा करते हुए कोलकाता से पधारे भागवत कथा मर्मज्ञ पंडित वशिष्ठ नारायण शास्त्री ने कहीं. शास्त्री जी ने गीता की प्रासंगिकता की चर्चा करते हुए कहा कि इस ग्रंथ का हर शब्द अमृत के समान है. उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपने जीवन काल में सत्संग करना चाहिए. शास्त्री जी ने कहा कि सत्संग नहीं होता, तो कुशल धनुर्धर अर्जुन का न तो मोह दूर होता और ना ही विजय श्री को प्राप्त कर पाते. उन्होंने मोह को ईश्वर भक्ति के मार्ग का सबसे बड़ा बाधक बताया. उन्होंने कहा कि जो इनसान मोह के बंधन से मुक्त होगा, वही मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है. दूसरे दिन के प्रवचन में सुरेंद्र प्रसाद, गजेंद्र उपाध्याय, रवींद्र सिंह, शिक्षक अरुण कुमार, कमलेश दूबे, राममूर्ति, राधेश्याम प्रसाद, प्रो. सुनील सिंह, हरिचरण प्रसाद, पंचम प्रसाद, पूनम सिन्हा, सरीखे सैकड़ों लोगों ने ज्ञान गंगा में डुबकी लगायी. पांच चीजों के सहारे ईश्वर प्राप्ति संभव: वैदेही ईश्वर की प्राप्ति के लिए पांच चीजें बहुत ही आवश्यक हैं एवं इन पांच चीजों के सही सामंजस्य से ही ईश्वर की प्राप्ति संभव है. ये पांच चीजें योग, लगन, ग्रह, दिन व तिथि हैं. उपरोक्त बातें गीता जयंती साप्ताहिक समारोह के दूसरे दिन प्रवचन की अमृत वर्षा करते हुए जनकपुर धाम से पधारी मानस मंदाकिनी वैदेही शरण जी ने कहीं. ईश्वर की प्राप्ति के मार्गों की चर्चा करते हुए वैदेही जी ने कहा कि योग में कर्मयोग, ज्ञान योग एवं भक्तियोग का बड़ा महत्व है. प्रवचन के क्रम में भजनों की सरिता में हर कोई सराबोर होता नजर आया.

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