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जरा संभल कर चलें भाई लापरवाही ले लेगी जान

दिघवारा/ छपरा. शाम होते ही चारो तरफ कुहासा अपनी चादर तान देता है. घने कुहासे की वजह से दृश्यता काफी कम होती है. सामने से आने वाली गाड़ी की सिर्फ हेड लाइट दिखती है. वह भी इस तरह की पता नहीं चलता की सामने से आने वाले वाहन बड़े हैं या छोटे. ऐसे में सड़क […]

दिघवारा/ छपरा. शाम होते ही चारो तरफ कुहासा अपनी चादर तान देता है. घने कुहासे की वजह से दृश्यता काफी कम होती है. सामने से आने वाली गाड़ी की सिर्फ हेड लाइट दिखती है. वह भी इस तरह की पता नहीं चलता की सामने से आने वाले वाहन बड़े हैं या छोटे. ऐसे में सड़क हादसे की आशंका बढ़ जाती है.
यही वजह है कि कुहासे के कारण सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. कहीं वाहनों की आपसी टक्कर हो रही है, तो कहीं वाहनों की ठोकर से यात्राियों की मौत. हाजीपुर-छपरा सड़क मार्ग पर मानो मौत सरपट दौड़ रही है. यात्रा पर निकला आदमी जब तक अपने गंतव्य तक नहीं पहुंचता, परिजनों की सांसें अटकी रहती है. ऐसे में जब हर तरफ घना कुहासा हो तो विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है.
हाजीपुर से गाजीपुर से जोड़ने वाला राष्ट्रीय राज्य मार्ग संख्या 19 हादसों का मार्ग बनता जा रहा है. कुहासे की वजह से इस
राष्ट्रीय राज मार्ग पर दुर्घटनाओं में वृद्धि हुई है. घने कुहासे के कारण वाहनों के टकराने व वाहनों की ठोकर से सड़क पर चलने वाले यात्राियों की मौत की कई घटनाएं हो चुकी हैं. एक पखवारा के अंदर हुई सड़क दुर्घटनाओं में किसी मां से उसका दुलारा छिन गया तो किसी पत्नी से उसका सुहाग. किसी ने अपने पिता को खोया, तो किसी बहन का इकलौता भाई दुर्घटना की वजह से नहीं रहा. हालात ऐसे हैं कि जब तक यात्राी यात्रा खत्म कर सकुशल घर नहीं पहुंच जाते, तब तक परिजनों की सांसें अटकी रहती हैं.
नियमों की होती है अनदेखी
कमोवेश लगातार हो रही दुर्घटनाएं सड़क पर चलने वाले चालकों की लापरवाही के कारण हो रही है. आगे बढ़ने की होड़ में नियमों को ताक पर रख कर ड्राइवर वाहन चलाते हैं. ऐसी स्थिति में वे लोग दुर्घटना का शिकार होकर या तो अपनी जान गंवा देते हैं या फिर अपनी चपेट में आने वाले यात्रियों को जीवन मौत के बीच फंसा डालते हैं.
अधिकतर चालक होते हैं अंडर एज
सड़क पर चलने वाले दोपहिया वाहन चालक व ऑटो चालक अंडर एज हैं. ऐसे लोगों के पास न तो वाहन चलाने का लाइसेंस है और नहीं पर्याप्त अनुभव. कुहासे में विशेष सतर्कता भी नहीं बरतते. जैसे वाहन चलना सीखा. राष्ट्रीय राज्यमार्ग पर गाड़ी लेकर निकल पड़े. फिर उनकी लापरवाही किसी के जीवन की मुसीबत बनते देर नहीं लगती. अभिभावकों का लापरवाह रवैया भी अंडर एज बच्चों को वाहन चलाने की ओर प्रेरित करता है.
क्या कहते हैं थानाध्यक्ष
समय-समय पर वाहनों की जांच की जाती है एवं ड्राइवरों के लाइसेंसों को भी जांचा जाता है. अनियंत्रित वाहन चालकों को दंडित भी किया जाता है. ऐसे जांच से दुर्घटनाओं में कमी आ सकती हैं.
लालबहादुर, थानाध्यक्ष
दिघवारा, सारण.

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