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पवन पाठक के शव की शिनाख्त के बाद भी पुलिस संतुष्ट नहीं

छपरा (सारण) : स्वर्ण आभूषण व्यवसायी दीपक कुमार सोनी अपहरण मामले के मुख्य सरगना पवन पाठक के शव की शिनाख्त भले ही उसकी दोनों पत्नियों ने कर ली है और शव लेकर परिजनों द्वारा अंतिम संस्कार कर दिया गया है, लेकिन पुलिस अब भी इस बात से संतुष्ट नहीं है कि बरामद शव पवन पाठक […]

छपरा (सारण) : स्वर्ण आभूषण व्यवसायी दीपक कुमार सोनी अपहरण मामले के मुख्य सरगना पवन पाठक के शव की शिनाख्त भले ही उसकी दोनों पत्नियों ने कर ली है और शव लेकर परिजनों द्वारा अंतिम संस्कार कर दिया गया है, लेकिन पुलिस अब भी इस बात से संतुष्ट नहीं है कि बरामद शव पवन पाठक का ही था. शातिर अपराधी पवन पाठक के शव के शिनाख्त होने के पीछे पुलिस को साजिश की आशंका लग रही है. इसका समाधान और स्थिति स्पष्ट करने के लिए पुलिस ने पहले ही डीएनए टेस्ट के नमूना भेजवा दी है.
क्या है मामला
स्वर्ण आभूषण व्यवसायी अपहरण मामले में पवन पाठक मुख्य सरगना है और वह काफी शातिर अपराधी है. पुलिस को आशंका है कि अपनी गिरफ्तारी तथा संपत्ति को कुर्की -जब्ती से बचाने के लिए यह षडयंत्र रचा गया है. पुलिस की आशंका को इस बात से बल मिल रहा है कि हत्या की घटना के पहले जिस दूसरी पत्नी का पवन पाठक ने अपहरण किया था, वह पुलिस के समक्ष पहले नहीं आयी और न ही उसने पुलिस को अपने बारे में सूचना दी. पवन की दूसरी पत्नी काजल उर्फ श्वेता पाठक के अपहरण की प्राथमिकी उसके पिता व बसंतपुर पट्टी निवासी प्रभातचंद्र ओझा ने दर्ज करायी थी. पवन की हत्या और श्वेता का हाजिर होना साजिश का हिस्सा लग रहा है. इसी बीच दूसरी पत्नी लीलावती देवी का पहुंचना भी कम रहस्यमय नहीं है.
क्या है आशंका
पुलिस को आशंका है कि अपराधी पवन पाठक ने ही किसी व्यक्ति की हत्या कर वहां अपना परिचय पत्र छोड़ दिया होगा, ताकि पुलिस यह मान कर की उसकी मौत हो गयी है, जिसके आधार पर पवन के खिलाफ लंबित मुकदमों को समाप्त कर देगी. शव की शिनाख्त नहीं हो इसके लिए अपराधी ने शव का सिर, हाथ, पैर काट कर गायब कर दिया था. हाथ गायब रहने से फिंगर प्रिंट भी नहीं मिलाया जा सकेगा. सिर गायब रहने से चेहरे की पहचान नहीं हो सकी. बिना सिर, हाथ, पैर के शव की पहचान दोनों परिचयों ने बिना किसी हिल -हुज्जत के कर ली, यह कई तरह की आशंकाओं को जन्म दे गयी.
डीएनए टेस्ट का है इंतजार :अपराधी पवन पाठक के डीएनए टेस्ट आने का पुलिस को इंतजार है. डीएनए रिपोर्ट से स्थिति साफ होने की उम्मीद है. पुलिस रिपोर्ट आने की प्रतीक्षा में है, साथ ही इस मामले की जांच पुलिस काफी गहराई व सूक्ष्मता से कर रही है.
गवाह नहीं बनती तो, जेल जाती श्वेता: स्वर्ण आभूषण व्यवसायी अपहरण मामले में श्वेता अगर सरकारी गवाह नहीं बनती तो, वह भी जेल चली गयी होती. दरअसल अपहृत स्वर्ण आभूषण व्यवसायी दीपक कुमार सोनी को छिपा कर रखने में श्वेता पाठक भी सहभागी थी. व्यवसायी को बंधन से श्वेता ने तब मुक्त किया, जब पुलिस ने उसके घर को चारो तरफ से घेर लिया था. दो दिनों तक पवन के घर में व्यवसायी को बंधक बना कर रखा गया था, जिसे श्वेता खाना बना कर खिलाती थी.

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